फैशन का जलवा

ऐसी है फैशन की दुनिया, जहां कभी शाम ढलती ही नहीं है। यही वजह है कि आज के युवाओं में फैशन को लेकर पैशन है। दिल्ली फैशन वीक, पेरिस, मिलान और न्यूयॉर्क में आकर्षक परिधानों में रैंप पर कैटवॉक करती मॉडल और हर डिजाइन पर लोगों की तालियों की बरसात! यह मंजर डिजाइनर की सफलता की कहानी बयां करता है। लोगों को सुंदर बनाने का जुनून आपमें है, तो फैशन डिजाइनिंग का क्षेत्र आपका इंतजार कर रहा है। आज भारतीय फैशन की दुनिया से निकलकर रितु बेरी, मनीष मलहोत्रा, रोहित बल जैसे तमाम डिजाइनर दुनिया भर में अपने हुनर का डंका बजा रहे हैं।

कैसे लें एंट्री

इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करना जरूरी है। नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी और पर्ल के अलावा और भी कई इंस्टीटयूट्स हैं, जहां से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया जा सकता है। फैशन डिजाइनिंग के अंडर ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन के लिए 12वीं पास होना जरूरी है। निफ्ट जैसे इंस्टीटयूट में एडमिशन के लिए रिटेन एग्जाम, ग्रुप डिस्कशन और पर्सनल इंटरव्यू के दौर से गुजरना पडता है। पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश के लिए किसी भी विषय में स्नातक होना आवश्यक है। फैशन डिजाइनिंग का क्षेत्र तीन ब्रांचों में विभाजित है-गारमेंट डिजाइन, लेदर डिजाइन और एक्सेसरीज व ज्यूलॅरी डिजाइन। इसके अलावा फैशन बिजनेस मैनेजमेंट, फैशन रिटेल मैनेजमेंट, फैशन मार्केटिंग, डिजाइन प्रोडक्शन मैनेजमेंट आदि कोर्स में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं। इन सभी क्षेत्रों में मान्यता प्राप्त संस्थानों से ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स किए जा सकते हैं।

फैशन डिजाइनिंग का क्रेज

टीवी सीरियल और फिल्म के दीवानों की देश में कमी नहीं है। खासकर टीवी सीरियल की पैठ तो आज घर-घर में हो चुकी है। टीवी सीरियल्स और फिल्मों में डिजाइन कपडों को देख कर लोगों का के्रज फैशन के प्रति अब देखते ही बनता है। यह भी एक वजह है, जिससे पिछले कुछ वर्षो में फैशन इंडस्ट्री में काफी उछाल आया है। उद्योग चैंबर एसोचैम के मुताबिक, भारतीय फैशन इंडस्ट्री वर्ष 2012 तक 7 अरब डॉलर के आंकडे को पार कर जाएगी। जिस तरह से लोगों में आज फैशन एक्सेसरीज के प्रति दीवानगी बढती जा रही है, उससे इस क्षेत्र का फलक और बडा होने की उम्मीद है।

फैशन की दुनिया

अक्सर लोगों को लगता है डिजाइनर सपनों की दुनिया में विचरण करते रहते हैं। लेकिन असलियत यह है कि उसका काम काफी चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि बाजार की मांग के अनुरूप किसी खास प्रोडक्ट, सीजन और प्राइस को ध्यान में रखकर उसे काम करना पडता है। पिछले कुछ वर्षो में यह क्षेत्र तेजी से बदला है। देखा जाए, तो कुछ साल पहले तक भारत में एक भी ऐसा फैशन डिजाइनर नहीं था, जिसे वैश्विक स्तर पर पहचाना जाए। लेकिन आज रितु कुमार, रितु बेरी, रोहित बल, सुनीत वर्मा, जेजे वालिया, तरुण तहिलियानी जैसे नामों की चर्चा दुनिया भर में है। रितु बेरी ने तो हॉलीवुड के बडे स्टार निकोलस किडमन और कैट होम्स के कपडे भी डिजाइन कर चुकी हैं।

नौकरी के अवसर

क्रिएटिव लोगों के लिए यहां मौकों की कमी नहीं है। फैशन डिजाइनिंग का जॉब काफी चकाचौंध भरा होता है। यहां हमेशा कुछ नया करने की चुनौती होती है। इस समय फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में गारमेंट और एक्सेसरीज डिजाइनर की काफी डिमांड है। फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद फैशन हाउस और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में रोजगार के अच्छे अवसर हैं। यहां आप प्रोडक्शन, फैशन मार्केटिंग, डिजाइन प्रोडक्शन मैनेजमेंट, फैशन मीडिया, क्वालिटी कंट्रोल, फैशन एक्सेसरीज डिजाइन और ब्रांड प्रमोशन में काम कर सकते हैं। इसके अलावा कॉस्टयूम डिजाइनर, फैशन कंसल्टेंट, टेक्निकल डिजाइनर, ग्राफिक डिजाइनर, प्रोडक्शन पैटर्न मेकर, फैशन कॉर्डिनेटर आदि के रूप में भी शानदार करियर बना सकते हैं।

सैलॅरी की चमक

फैशन डिजाइनिंग में सैलॅरी भी काफी बेहतर है। शुरू-शुरू में आपकी सैलॅरी 10,000 से 14,000 रुपये महीने हो सकती है। लेकिन दो-तीन साल बाद, जब आप डिजाइनिंग में कुशल हो जाते हैं, तो सैलॅरी काफी बढ जाती है। जब आप इस फील्ड में एक बार जाने-पहचाने नाम बन जाते हैं, तो लाखों की कमाई कर सकते हैं।

इंस्टीटयूट वॉच

नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद

www.nid.edu

नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन डिजाइन, चंडीगढ

www.nifd.net

नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, गांधीनगर, बेंगलुरु

www.niftindia.com

नॉर्थ इंडिया इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, मोहाली

www.niiftindia. com

पर्ल एकेडमी ऑफ फैशन, नई दिल्ली

www.pearlacademy.com

गवर्नमेंट इंस्टीटयूट ऑफ गारमेंट टेक्नोलॉजी

www. punjabteched. com

एफडीडीआई, नोएडा

www.fddiindia.com

सिम्बॉयोसिस इंस्टीटयूट ऑफ डिजाइन

www.symbiosisdesing.ac.in

इंटरनेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन डिजाइन, नई दिल्ली

www.nifd.net

सत्यम फैशन इंस्टीटयूट, नोएडा

www.satyamfashion.ac.in

इंटरनेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली

www.iiftindia.net

कोर्स का क्रेज

फैशन डिजाइनिंग कोर्स के प्रति स्टूडेंट्स में जबर्दस्त के्रज देखा जा रहा है। कितना आकर्षक है यह करियर..

कितना रोमांचक है फैशन डिजाइनिंग?

इस फील्ड में इतना रोमांच है कि आप हर समय जोश और जज्बे से भरे रहते हैं। यहां कुछ भी ठहरा हुआ नहीं है। आज यहां रातों-रात सारे समीकरण बदल रहे हैं। मौसम के हिसाब से कट और कलर तो बदलते ही हैं, लेकिन अब तो लगता है कि स्टाइल और मैटीरियल आदि चलन में आने से पहले ही बदल जाते हैं!

कैसे बना जा सकता है सफल फैशन डिजानइर?

इस क्षेत्र में सफल होने के लिए जरूरी है कि ड्राइंग, स्केच की स्किल के साथ-साथ मार्केट ट्रेंड और कलर की भी अच्छी समझ हो। आपके आइडियाज दूसरे से अलग हों। इसके साथ ही डिजाइनर को प्रोडक्शन की जानकारी के अलावा टेक्नोलॉजी, बिजनेस एथिक्स, कॉस्टिंग आदि की अच्छी समझ भी जरूरी है।

कितनी संभावनाएं हैं इस फील्ड में?

आज फैशन इंडस्ट्री एक रोमांचक दौर से गुजर रही है। इस फील्ड में रोजगार के अवसर भी खूब हैं। डिजाइनरों के लिए प्रोडक्शन, मार्केडाइजिंग कंपनी, फैशन रिटेल कंपनी, बुटिक्स, एक्सपोर्ट हाउस आदि में नौकरियों की अच्छी संभावनाएं हैं। इसके अलावा फ्रीलांस के तौर पर काम करने का भी भरपूर मौका है। यदि आप कुछ वर्षो का अनुभव हासिल कर लेते हैं, तो खुद का बुटिक या फिर फैशन हाउस भी खोल सकते हैं।

(बातचीत पर्ल एकेडमी ऑफ फैशन के गु्रप डायरेक्टर एकेजी नैयर से)

अमित निधि

दुनिया साइबर लॉ की

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट की चर्चा होते ही अंकित फाडिया का नाम सामने आ जाता है, जिन्होंने ओसामा बिन लादेन के लोगों द्वारा भेजे गए एक ई-मेल को डिकोड करने में सफलता हासिल की थी। आए दिन साइट हैकिंग से लेकर ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड अथवा साइबर बुलिंग की खबरें सुनने को मिलती रहती हैं। यही है साइबर क्राइम और इन कामों को अंजाम देता है कम्प्यूटर तकनीक के जरिए एक हाइटेक अपराधी। इसे रोकने के लिए जरुरत होती है साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट की।

साइबर क्राइम

पूरी दुनिया में साइबर स्पेस का अपना कानून है, जिसका उपयोग इंटरनेट के माध्यम से होने वाले अपराधों से निपटने के लिए किया जाता है। इंटरनेट के जरिए जब किसी को ईमेल या मैसेज आदि से परेशान किया जाए, तो उसे साइबर बुलिंग कहते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पचास फीसदी अमेरिकी किशोर किसी न किस रूप में साइबर बुलिंग के शिकार हैं। मनोवैज्ञानिकों की मानें तो इसका असर किसी को मारने पीटने से भी ज्यादा भयावह होता है।

कोर्स

इस क्षेत्र में एक्सपर्ट बनने के लिए आपको पीजी डिप्लोमा, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स में से किसी एक कोर्स को करना जरूरी है। हालांकि कम संस्थानों में ही इसके लिए अलग से कोर्स उपलब्ध हैं। लेकिन अधिकतर संस्थानों में इससे संबंधित एक या दो सब्जेक्ट अवश्य पढाए जाते हैं। इस कोर्स के अंतर्गत साइबर लॉ और साइबर सिक्योरिटी से जुडी मूल बातें, नेटवर्क सुरक्षा, हमलों के प्रकार, नेटवर्क सिक्योरिटी के खतरे, हमले और खामियां, सुरक्षा संबंधी समाधान और उन्नत सुरक्षा प्रणाली आदि विशेष रूप से पढाए जाते हैं। इसके साथ ही संस्थान द्वारा विद्याíथयों के लिए एक डिजिटल लाइब्रेरी की भी व्यवस्था होती है, ताकि स्टूडेंट्स इससे जुडी अन्य जानकारी भी हासिल कर सकें।

योग्यता

साइबर लॉ कोर्स में प्रवेश पाने के लिए कैंडिडेट को कम से कम 12वीं या स्नातक होना आवश्यक है। पहले से लॉ या आईटी की डिग्री हासिल कर चुके स्टूडेंट्स इसे अलग से भी पढ सकते हैं।

अवसर

आजकल सबसे ज्यादा केस साइबर क्राइम जैसे कि ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड, ऑनलाइन परचेजिंग, ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग फ्रॉड, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, वेबसाइट बिगाडने आदि के दर्ज होते हैं। ऐसे में सरकारी, निजी, बैंकिंग सेक्टर, बीपीओ, आईबी, आईटी, शिक्षण-संस्थानों में इस तरह के क्राइम से निपटने के लिए साइबर लॉ एक्सप‌र्ट्स की जरूरत पडती है।

वेतन

तेजी से उभरते करियर के इस क्षेत्र में सैलरी पैकेज भी बहुत आकर्षक होती है। आरंभिक स्तर पर 15 से 20 हजार रुपये प्रति माह तक मिल जाते हैं। यदि आप किसी कंपनी से न जुडकर फ्रीलांस काम करते हैं, तो एक्सप‌र्ट्स बनने के बाद मुंहमांगा वेतन मिल सकता है।

संस्थान

जागरण इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड मास कम्युनिकेशन, नोएडा

(www.jimmc.in)

डिपार्टमेंट ऑफ लॉ, दिल्ली यूनिवर्सिटी

(www.du.ac.in)

इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट,भगवान दास रोड, नई दिल्ली

एमिटी लॉ स्कूल, दिल्ली

(www.amity.org)

आईएमटी, मेरठ रोड, गाजियाबाद

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद

वेबसाइट : www.iiita.ac.in

फैकल्टी ऑफ लॉ, लखनऊ यूनिवíसटी, लखनऊ

स्कूल ऑफ लीगल स्टडीज, हिमाचल यूनिवíसटी, शिमला

पश्चिम बंगाल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ज्यूडिशियल साइंस, कोलकाता

नेशनल लॉ यूनिवíसटी,जोधपुर

बनें साइबर वकील

जेआईएमएमसी के डायरेक्टर जे.आर. शरण के अनुसार, आने वाले दिनों में काफी संख्या में साइबर लॉ एक्सप‌र्ट्स की मांग बढेगी। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश..

भारत में साइबर लॉ का क्या भविष्य है?

अभी इंटरनेट की पहुंच मेट्रो और बी ग्रेड वाले शहरों तक ही सीमित है। लेकिन धीरे-धीरे लगभग सभी क्षेत्रों में इंटरनेट या कम्प्यूटर पर निर्भरता बढ रही है। कहा जा सकता है कि आनेवाले दिनों में भारत में साइबर लॉ का अधिकाधिक विस्तार होगा।

साइबर लॉ एक्सपर्ट बनने के लिए किस तरह के गुण जरूरी हैं?

साइबर लॉ एक्सप‌र्ट्स के लिए आवश्यक है कि वे हमेशा नए-नए नियमों को जानने के लिए तत्पर हों। साथ ही कुछ व्यवहारिक गुणों जैसे साइबर क्रिमिनल को समझने की क्षमता तथा रिसर्च करने की जिज्ञासा हो। इसके साथ ही वायरस पर नियंत्रण, अकाउंट चोरी से बचाव, इंटरनेट और सॉफ्टवेयर से संबंधित मुद्दे डील करने आदि चीजों को सीखने के लिए उत्सुक हो।

यह कोर्स किसके लिए फायदेमंद हैं?

यह कोर्स खासकर लॉ स्टूडेंट्स, पेशेवर लॉयर्स, आईटी प्रोफेशनल्स, स्टूडेंट्स, सिक्योरिटी ऑडिटर्स, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, बैंकिंग, इंश्योरेंस और अन्य प्रोफेशनल्स के लिए काफी फायदेमंद हो सकते हैं।

इसमें प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का महत्व है?

इस कोर्स में थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों का समान महत्व होता है। जब तक थ्योरी नहीं पढेंगे, प्रैक्टिकल संभव नहीं होगा।

यहां आनेवाले स्टूडेंट्स को क्या सलाह देंगे?

इस कोर्स में एडमिशन लेने से पहले यह जानकारी जरूर प्राप्त कर लें कि आपको पढना क्या है। इसके साथ ही संस्थान की फैकल्टी और प्लेसमेंट रिकॉर्ड जरूर देखें।

विजय झा

vijayjha@nda.jagran.com

डिमांड साइबर एक्सपर्ट की

साइबर लॉ में तकनीकी विषयों के साथ-साथ कानूनी पहलुओं का भी अध्ययन किया जाता है। इसके पाठ्यक्रम में टेक्नोलॉजी और लॉ दोनों विषयों के बारे में विस्तार से पढाया जाता है। आजकल हर क्षेत्र में इसकी काफी डिमांड है। क्योंकि हर संस्थान सिक्योरिटी चाहता है। इस तरह की सिक्योरिटी साइबर लॉ विशेषज्ञ के जिम्मे होता है। आज भी ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जो यह नहीं समझ पाते कि कैसे उनके ई-मेल में किसी अज्ञात व्यक्ति ने सेंध लगाई या कैसे कम्प्यूटर से उनका जरूरी डाटा पल भर में गायब हो गया। यही कारण है कि भारत में साइबर लॉ का विस्तार सभी क्षेत्रों में हो रहा है।

प्रो. केशव राय

डायरेक्टर, इंटरनेशनल स्कूल ऑफ कॉर्पोरेट मैनेजमेंट, पुणे

मेडिसिन इंडस्ट्री मैनेजर भी होते हैं यहां

मेडिसिन इंडस्ट्री आज दुनिया की सबसे तेजी से बढते उद्योगों में से एक है। यही कारण है कि इसमें दवाओं के वितरण, मार्केटिंग, पब्लिक रिलेशंस, फार्मा मैनेजमेंट आदि में स्किल्ड लोगों की मांग में काफी तेजी आ गई है।

कोर्स और योग्यता

देश में 100 से अधिक संस्थानों में फॉर्मेसी में डिग्री कोर्स और 200 से अधिक संस्थानों में डिप्लोमा कोर्स चलाए जा रहे हैं। इसमें बारहवीं के बाद सीधे डिप्लोमा किया जा सकता है। फार्मा रिसर्च में स्पेशलाइजेशन के लिए एनआईपीईआर यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मा एजुकेशन ऐंड रिसर्च जैसे संस्थानों में प्रवेश ले सकते हैं। दिल्ली स्थित एपिक इंस्टीट्यूट द्वारा फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट में तीन वर्षीय डुएल अवॉर्ड प्रोग्राम चलाया जा रहा है। इसमें बीएससी (केमिस्ट्री या बायोलॉजी के साथ), बीफार्मा या डीफार्मा कर चुके अभ्यर्थी प्रवेश के पात्र हैं। इस कोर्स के तहत पहले वर्ष पीडीपीएम यानी प्रोफेशनल डिप्लोमा इन फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट की उपाधि दी जाती है, जबकि दूसरे व तीसरे वर्ष एमबीए-फार्मा मैनेजमेंट की डिग्री दी जाती है। खास बात यह है कि पहले वर्ष के बाद जॉब के साथ-साथ भी कोर्स पूरा किया जा सकता है। कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा फार्मा मैनेजमेंट में दो वर्षीय एमबीए पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गई है, जिसमें प्रवेश के लिए स्नातक होना जरूरी है। जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली में मार्केटिंग में विशेषज्ञता के साथ एमफार्मा कोर्स भी उपलब्ध है। कुछ जगहों पर बीबीए (फार्मा मैनेजमेंट) कोर्स भी चलाया जा रहा है। यह तीन वर्षीय स्नातक कोर्स है, जिसमें छात्र 10+2 के बाद प्रवेश ले सकते हैं। इसके साथ-साथ पीजी डिप्लोमा इन फार्मास्युटिकल एवं हेल्थ केयर मार्केटिंग, डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग, एडवांस डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग एवं पीजी डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग जैसे कोर्स भी संचालित किए जा रहे हैं। इन पाठ्यक्रमों की अवधि छह माह से एक वर्ष के बीच है। इनके लिए अभ्यर्थी की न्यूनतम योग्यता बीएससी, बीफार्मा अथवा डीफार्मा निर्धारित की गई है।

खासियत फार्मा मैनेजमेंट की

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मा मार्केटिंग, लखनऊ के निदेशक पी. ऋषि मोहन कहते हैं कि सामान्य उत्पादों की मार्केटिंग के लिए जहां सीधे डीलर या कस्टमर से संपर्क करना होता है, वहीं दवाओं की मार्केटिंग में डॉक्टर अहम कडी होता है। दवा की खूबियों के बारे में डाक्टरों को संतुष्ट करना जरूरी होता है, तभी वे इसे मरीजों के प्रिस्क्रिप्शन में लिखते हैं। इसके अलावा दुकानों में दवा की उपलब्धता का पता भी रखना होता है। इन्हीं जरूरतों को देखते हुए फार्मा मैनेजमेंट कोर्स की शुरुआत की गई है। फार्मा मैनेजमेंट के क्षेत्र में काम करने के लिए मैनेजमेंट के साथ दवा निर्माण में इस्तेमाल होने वाले पदार्थों एवं तकनीक का भी ज्ञान होना चाहिए। दवा कंपनियां मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव, मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव अथवा मार्केटिंग ऑफिसर के रूप में प्रशिक्षित लोगों को ही रखना चाहती हैं।

विषय की प्रकृति

फार्मा मैनेजमेंट पाठ्यक्रम के अंतर्गत फार्मा सेलिंग, मेडिकल डिवाइस मार्केटिंग, फार्मा ड्यूरेशन मैनेजमेंट, फार्मा मार्केटिंग कम्युनिकेशन, क्वालिटी कंट्रोल मैनेजमेंट, ड्रग स्टोर मैनेजमेंट, फर्मास्युटिक्स, एनाटॉमी एवं मनोविज्ञान, प्रोडक्शन प्लानिंग, फार्माकोलॉजी इत्यादि विषय पढाए जाते हैं। इन तकनीकी विषयों के अलावा ड्रग डेवलपमेंट और कम्प्यूटर की व्यावहारिक जानकारी भी दी जाती है।

पद

आने वाले समय में इस क्षेत्र में योग्य एवं प्रशिक्षित मेधावी युवाओं की मांग बढेगी और रोजगार के भी अवसर बढेंगे, जिसमें मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव, प्रोडक्ट्स एग्जीक्यूटिव, बिजनेस ऑफिसर अथवा बिजनेस एग्जीक्यूटिव, मार्केटिंग रिसर्च एग्जीक्यूटिव, ब्रांड एग्जीक्यूटिव, प्रोडक्शन एग्जीक्यूटिव, प्रोड्क्शन केमिस्ट, क्वालिटी कंट्रोल और क्वालिटी एश्योरेन्स एग्जीक्यूटिव पद शामिल हैं।

जॉब संभावनाएं

इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय भारत का फार्मास्युटिकल उद्योग 42 हजार करोड रुपये से अधिक का है, जिसमें निर्यात भी शामिल है। वर्ष 2005 में देश की फार्मा इंडस्ट्री का कुल प्रोडक्शन करीब 8 बिलियन डॉलर था, जिसके वर्ष 2010 तक 25 बिलियन डॉलर हो जाने की उम्मीद है। भारत में इस समय 23 हजार से भी अधिक रजिस्टर्ड फार्मास्युटिकल कंपनियां हैं, हालांकि इनमें से करीब 300 ही ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में हैं। एक अनुमान के अनुसार, इस इंडस्ट्री में तकरीबन दो लाख लोगों को काम मिला हुआ है। फार्मा इंडस्ट्री की वर्तमान प्रगति को देखते हुए अगले कुछ वर्षों में इस इंडस्ट्री को दो से तीन गुना स्किल्ड लोगों की जरूरत होगी। आर ऐंड डी (शोध व विकास) पर वर्ष 2000 में जहां महज 320 करोड रुपये खर्च किए गए, वहीं 2005 में यह बढकर 1500 करोड रुपये तक पहुंच गया। इस संबंध में इंडियन फार्मास्युटिकल एसोसिएशन के सेक्रेटरी जनरल दिलीप शाह का कहना है कि भारी मात्रा में निवेश को देखते हुए स्वाभाविक रूप से फार्मा रिसर्च के लिए प्रति वर्ष एक हजार और साइंटिस्टों की जरूरत होगी। दिल्ली स्थित एपिक इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ केयर स्टडीज के डायरेक्टर दीपक कुंवर का कहना है कि यह क्षेत्र आज सर्वाधिक संभावनाओं से भरा है। इसमें दक्ष युवा देशी-विदेशी कंपनियों में कई तरह के आकर्षक काम आसानी से पा सकते हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मा मार्केटिंग, लखनऊ के प्रोफेसर ऋषि मोहन का कहना है कि इस क्षेत्र में प्लेसमेंट की स्थिति बहुत अच्छी है।

कमाई

प्रशिक्षित लोगों की मांग देखते हुए इस क्षेत्र में सैलरी भी काफी तेजी से बढ रही है। रिसर्च और एंट्री लेवल पर सैलरी डेढ लाख रुपये वार्षिक मिलती है। मार्केटिंग क्षेत्र में एक फ्रेशर को तीन-साढे तीन लाख रुपये वार्षिक मिल जाते हैं। दीपक कुंवर बताते हैं कि उनके यहां के स्टूडेंट्स को शुरुआती मासिक वेतन 8 से 15 हजार रुपये तक आसानी से मिल जाता है।

प्रमुख संस्थान

एपिक इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ केयर स्टडीज, डी-62 , साउथ एक्सटेंशन, पार्ट-1, नई दिल्ली-49, फोन 011-24649994

वेबसाइट : www.apicworld.com

ग्लोबल ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशन, पंजाब

वेबसाइट : www.gkfindia.com

इंस्टीटयूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च, पुणे

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन, मोहाली, चंडीगढ-62

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मा मार्केटिंग, विकास नगर, लखनऊ

एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च, मुंशी नगर, दादाभाई रोड, अंधेरी वेस्ट मुंबई,

ई-मेल : spjicom@spjimr-ernet-in

नरसी मुंजे इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज जेवीपीडी स्कीम, विले पार्ले, मुंबई-56

ई-मेल enquiry@nmims-edu

जवाहर लाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च, बेंगलुरू,

वेबसाइट www-jncasr-ac-in

(विशेषज्ञों से बातचीत पर आधारित)

फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री पर एक नजर

फार्मा बिजनेस या दवा व्यवसाय आज विश्व के चौथे बडे उद्योगों में से एक है।

विश्व व्यापार का 8 प्रतिशत हिस्सा इस उद्योग के अंतर्गत आता है।

भारत का घरेलू फार्मास्युटिकल उद्योग 42 हजार करोड रुपये से अधिक का है।

इसमें 8-10 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि हो रही है।

वर्ष 2010 तक इसके 25 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

फाइनेंस की दुनिया

ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में न सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व बदलाव आया है, बल्कि इसने भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर को भी नई दिशा प्रदान की है। जाहिर है, इससे कॉर्पोरेट सेक्टर में नई-नई नौकरियां सामने आ रही हैं। अगर आप भी कॉर्पोरेट सेक्टर में अपने करियर को नया आयाम देना चाहते हैं, तो फाइनेंशियल एक्सपर्ट के रूप में करियर का आगाज कर सकते हैं।

कोर्स

इसमें डिप्लोमा कोर्सेज के अलावा मास्टर डिग्री के कोर्स भी उपलब्ध हैं। फाइनेंस से संबंधित कोर्स में फाइनेंशियल अकाउंटिंग और इकोनॉमिक्स पर खास जोर दिया जाता है। यह कोर्स चार्टर्ड अकाउंटेंट, कॉस्ट अकाउंटेंट, सीएस और एमबीए प्रोफेशनल्स में काफी लोकप्रिय है।

योग्यता

कॉमर्स बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स के लिए यह सबसे पसंदीदा क्षेत्र है। लेकिन अन्य स्ट्रीम के स्टूडेंट्स भी इसमें करियर बना सकते हैं। इसमें प्रवेश पाने के लिए न्यूनतम योग्यता किसी भी संकाय में 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास जरूरी है। एडमिशन के लिए मेरिट या एंट्रेंस टेस्ट होता है।

कार्य

फाइनेंशियल सर्विस से जुडे प्रोफेशनल्स का मुख्य कार्य ऑर्गनाइजेशन के लिए मनी क्रिएट करना, कैश जनरेट करना और किसी भी इन्वेस्टमेंट पर अधिक से अधिक रिटर्न प्रदान करना होता है। इसके साथ ही, फाइनेंशियल प्लॉनिंग में भी इनका अहम योगदान होता है। फाइनेंस से जुडे लोगों को किसी भी कंपनी के संपूर्ण वित्तीय प्रबंधन को समझना होता है और शीर्ष प्रबंधकों को वित्तीय और आíथक नीति बनाने और उन्हें लागू करने में मदद करना होता है। इसके अलावा क्रेडिट कार्ड आपरेशंस का भी क्षेत्र है, जहां फाइनेंस के जानकारों का भरपूर इस्तेमाल होता है।

संभावनाएं

इंटरनेशनल कंसल्टिंग फर्म सेलेंट के मुताबिक, इंडियन वेल्थ मैनेजमेंट सर्विस का मार्केट वर्ष 2007 में 1.3 करोड के करीब था, जिसके वर्ष 2012 तक बढकर 4.2 करोड तक पहुंच जाने की उम्मीद है। परफॉर्मेस के लिहाज से भारत दुनिया का तीसरा सबसे बडा मार्केट के रूप में उभरा है। अर्नेस्ट यंग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत आईपीओ के मामले में दुनिया का पांचवां सबसे बडा देश है। भारत म्यूचुअल फंड के क्षेत्र में सबसे तेजी से विकास कर रहा है और आने वाले तीन वर्षो में यह सेक्टर 30 प्रतिशत की दर से बढ सकता है। यह मार्केट जुलाई 2007 में 118.85 अरब डॉलर के करीब था, जिसके वर्ष 2010 तक 241.79 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। इंडियन बैंकिंग सेक्टर की विकास दर 20 प्रतिशत के करीब है। इतना ही नहीं, एशिया के टॉप 50 बैंक में नौ भारतीय बैंक शामिल हैं। वहीं फो‌र्ब्स के टॉप 50 माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट में भारत के सात इंस्टीट्यूट शामिल हैं। ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म केएमपीजी के मुताबिक, इंडियन फाइनेंशियल केपीओ (नॉलेज प्रॉसेस आउटसोर्सिग) इंडस्ट्री का रेवेन्यू वर्ष 2010 तक पांच अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। इस रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि फाइनेंशियल आउटसोर्सिग सर्विस बढने की वजह टैलॅन्टेड प्रोफेशनल्स की उपलब्धता, ऑफशोर लोकेशन और बेहतर ऑउटसोर्सिग स्ट्रेटेजी आदि है।

नौकरी

फाइनेंस में योग्यता प्राप्त प्रोफेशनल्स को कॉर्पोरेट फाइनेंस, इंटरनेशनल फाइनेंस, मर्चेंट बैंकिंग, फाइनेंशियल सíवसेज, कैपिटल ऐंड मनी मार्केट, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट, स्टॉक ब्रोकिंग, शेयर, रजिस्ट्री, क्रेडिट रेटिंग आदि में नौकरी मिल सकती है। सरकारी बैंकों के अलावा, निजी और विदेशी बैंकों की बढती आर्थिक गतिविधियों की वजह से फाइनेंशियल एक्सपर्ट,फाइनेंशियल नालिस्ट, फाइनेंशियल प्लानर, वेल्थ मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स आदि की डिमांड तेजी से बढी है। प्राइवेट बैंकों की बात करें, तो एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, विदेशी बैंक जैसे-एबीएन मरो, सिटीगोल्ड वेल्थ मैनेजमेंट, सिटी बैंक, डच बैंक, एचएसबीसी आदि में भरपूर अवसर हैं। इसके अलावा, इंवेस्टमेंट फर्म जैसे-डीएसपी मैरील लाइंच, कोटक सिक्योरिटीज, आनंद राठी इंवेस्टमेंट और जे.एम मार्गन स्टेंली में भी रोजगार के अवसर तलाश सकते हैं। इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से भी आप नौकरी पा सकते हैं।

वेतन

इस क्षेत्र में आने के बाद पैसे की कमी नहीं है। जहां तक वेतन का प्रश्न है, तो वह योग्यता, अनुभव, संस्थान के आकार और प्रकार पर निर्भर करता है।

संस्थान

डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल स्टडीज, दिल्ली विश्वविद्यालय, साउथ कैंपस, नई दिल्ली-21

कॉलेज ऑॅफ बिजनेस स्टडीज,दिल्ली विश्वविद्यालय,विवेक विहार, फेज-2, दिल्ली-95

द इंस्टीट्यूट ऑॅफ कम्प्यूटर अकाउंट्स, प्लॉट नं- 31, इंद्रदीप बिल्डिंग, कम्यूनिटी सेंटर, नियर अशोक विहार क्रॉसिंग, दिल्ली-52

आई-360, स्टाफिंग ऐंड ट्रेनिंग सॉल्यूशंस प्रा. लि. ए-1-171, दूसरा तल, नजफगढ रोड, जनकपुरी, नई दिल्ली-58

बीएलबी इंस्टीटयूट ऑफ फाइनेंशियल मार्केट चौथी मंजिल, गुलाब भवन, 6, बहादुरशाह जफर मार्ग, नई दिल्ली-2

अलीगढ मुस्लिम यूनिवíसटी फैकल्टी ऑफ कामर्स,अलीगढ

द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट ऑफ इंडिया, 52 नागार्जुन हिल्स, हैदराबाद इसके अलावा इस इंस्टीट्यूट की शाखाएं लखनऊ, कोलकाता, चैन्नई और पुणे में भी हैं।

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, नालंदा परिसर, 169, रविन्द्रनाथ टैगोर मार्ग, इंदौर

कुरुक्षेत्र यूनिवíसटी,फैकल्टी ऑफ कामर्स ऐंड बिजनेस स्टडीज, कुरुक्षेत्र

यूनिवíसटी ऑफ लखनऊ,फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, बादशाह बाग, लखनऊ

महíष दयानंद यूनिवíसटी,फैकल्टी ऑफ कॉमर्स ऐंड बिजनेस मैनेजमेंट रोहतक

उत्कल यूनिवíसटी,फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, वाणी विहार, भुवनेश्वर

फजले गुफरान

मंदी के बावजूद इसमें काफी अवसर हैं। वित्त क्षेत्र में किसी भी तरह की विशेषज्ञता रखने वालों के लिए नौकरियों की कमी नहीं है।

बेहतर संभावनाएं फाइनेंस में

फाइनेंशियल सíवसेज में करियर बनाने वालों की संख्या क्यों बढती जा रही है?

हर क्षेत्र में कुछ चुनौतियां होती हैं, तो संभावनाएं भी। मंदी के बावजूद इस सेक्टर में काफी संभावनाएं हैं। यह सेक्टर काफी बडा है। वित्त क्षेत्र में किसी भी तरह की विशेषज्ञता रखने वालों के लिए नौकरियों की कमी नहीं है। बैंकिंग, इंश्योरेंस सेक्टर, मार्केटिंग, सार्वजनिक सेक्टर, निजी व गैर सरकारी संस्थाओं के अलावा भी कई जगह इनका प्लेसमेंट हो रहा है।

फाइनेंशियल सíवसेज में करियर बनाने वालों के लिए क्या यह उपयुक्त समय है?

बिल्कुल, इस सेक्टर में करियर बनाने वालों के लिए यह बेहद उपयुक्त समय है। व‌र्ल्डवाइड ग्रोथ हो रही है। हिन्दुस्तान में ही 51 से 52 फीसदी रोजगार के अवसर हैं। कमोडिटी मार्केट का विस्तार हो रहा है। बैंकिंग सेक्टर में सुधार हो रहा है। बीमा क्षेत्र भी भविष्य का निर्माण तय करने में जुटा है। यानी इन सभी क्षेत्रों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है।

लेकिन मंदी का सबसे व्यापक असर तो फाइनेंशियल सेक्टर पर ही पडा है?

यह सब क्षणभंगुर है। जल्द ही बादल छंट जाएंगे। यह सेक्टर इतना बडा है कि इसकी महत्ता कभी कम नहीं हो सकती है। जल्द ही देश की इकोनॉमी में तेजी आएगी और नए क्षेत्रों में रोजगार के अवसर खुलेंगे। फाइनेंशियल सíवसेज में करियर बनाने वालों को क्या सलाह देना चाहेंगे?

यहां औसत से लेकर प्रतिभावान, दोनों तरह के स्टूडेंट्स के लिए करियर संवारने का मौका है। इस सेक्टर से पढाई करने वाले कहीं भी एडजस्ट हो सकते हैं, जबकि दूसरे विषय के छात्रों के साथ ऐसा नहीं हैं। यूं तो 12 वीं के बाद ही करियर की राह खुल जाती है, लेकिन डिग्री या पीजी हैं, तो आपके लिए बेहतर अवसर हो सकते हैं।

(डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल स्टडीज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. संजय सहगल से बातचीत)

चलें गांव की ओर

विकास का पहिया अब ग्रामीण इलाकों से होकर गुजरेगा, क्योंकि इस बार के बजट में सरकार ने ग्रामीण रोजगार स्कीम के तहत 39,000 करोड रुपये की घोषणा की है। इसका मतलब यह हुआ कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, भारत निर्माण, इंदिरा आवास आदि जैसी योजनाओं पर सरकार के खर्च में काफी बढोतरी होगी। ऐसी स्थिति में रूरल मैनेजमेंट से जुडे पेशेवरों की डिमांड में काफी इजाफा होने की उम्मीद है।

क्वालिफिकेशन ऐंड कोर्स

अधिकतर मैनेजमेंट इंस्टीटयूट्स रूरल मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा या एमबीए कोर्स ऑफर करती हैं। इस कोर्स में एंट्री के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से स्नातक होना जरूरी है।

एडमिशन प्रॉसेस

आमतौर पर इसके लिए संबंधित संस्थान प्रवेश परीक्षा लेता है। एंट्रेस एग्जाम के बाद ग्रुप डिस्कशन और पर्सनल इंटरव्यू के दौर से गुजरना पडता है। जानते हैं कुछ इंस्टीटयूट में कैसे होता है एडमिशन..

इंस्टीटयूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, आनंद : रूरल मैनेजमेंट में दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन के लिए लिखित परीक्षा में बैठना होगा। इसमें चार सेक्शन होते हैं- इंग्लिश कॉम्प्रिहेन्शन, क्वांटिटेटिव एबिलिटी, रीजनिंग और एनालिटिकल स्किल।

जेवियर इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट, भुवनेश्वर : रूरल मैनेजमेंट के पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम में एंट्री के लिए आईआरएमए/एक्सएटी टेस्ट स्कोर, जीडी और इंटरव्यू के आधार पर होती है। स्नातक की डिग्री रखने वाले स्टूडेंट्स इस टेस्ट में हिस्सा ले सकते हैं।

इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, जयपुर : इस इंस्टीटयूट में एडमिशन के लिए मैट, एक्सएटी आदि स्कोर जरूरी है। स्टूडेंट्स का फाइनल सेलेक्शन ऊपर दिए गए स्कोर के अलावा जीडी, पर्सनल इंटरव्यू और एकेडमिक रिकॉर्ड के आधार पर होता है।

क्यों लें इस कोर्स में एडमिशन?

आज देश की गरीबी को खत्म करना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए मिनिस्ट्री ऑफ रूरल डेवलपमेंट ने कई योजनाओं की शुरुआत की हैं, जैसे-राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, भारत निर्माण, इंदिरा आवास, ग्रामीण सडक योजना आदि। ये तो हुई योजनाओं की बात। यदि प्लेसमेंट की बात करें, तो मंदी के बावजूद भी रूरल मैनेजमेंट में पेशेवरों की मांग बढी हैं। जेवियर इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट, भुवनेश्वर के रूरल मैनेजमेंट के 59 स्टूडेंट्स का प्लेसमेंट अमूल, टाटा टेलीसर्विस, मदर डेयरी आदि जैसी कंपनियों में हुई है। इसमें सबसे ज्यादा वार्षिक सैलरी पैकेज 8 लाख रुपये का रहा है। इसी तरह कुछ अन्य रूरल मैनेजमेंट इंस्टीटयूट्स में भी अच्छी प्लेसमेंट देखी गई हैं। इस क्षेत्र में मौजूद संभावनाओं को देखते हुए एडमिशन लेना करियर की दृष्टि से बेहतर माना जा सकता है।

जॉब प्रोफाइल

रूरल मैनेजर का काम ग्रामीण इलाकों में रहने वालों के विकास में सहायता करना होता है, ताकि देश का भी समग्र विकास हो सके। आज पूरी दुनिया में रूरल डेवलपमेंट पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है और विकास के लिए कई सारी स्कीम की शुरुआत हो रही है। इन योजनाओं में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, एनजीओ और स्थानीय निकाय भी शामिल होते हैं। रूरल मैनेजमेंट से जुडे पेशेवर का काम रूरल एरिया में कंपनी की तरक्की और लाभ के ग्राफ को ऊपर ले जाने का भी होता है। साथ ही, फर्म के प्रबंधन, रखरखाव आदि भी इन्हीं के जिम्मे होता है। यदि आपका प्लेसमेंट किसी रूरल कंसल्टेंसी कंपनी में हुआ है, तो प्लानिंग, बजट, मार्केट, निरीक्षण, यहां तक कि एम्प्लॉइज को बहाल करने का कार्य भी करना पड सकता है।

आ अब लौट चलें..

पहले लोग नौकरी की तलाश के लिए गांवों से शहरों की ओर पलायन करते थे, लेकिन अब स्थिति बदलती हुई नजर आ रही हैं, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में विकास के कार्यो को देखते हुए लोग अब कहने लगे हैं आ अब लौट चलें..। यदि आपके पास रूरल मैनेजमेंट की डिग्री है, तो आपके लिए नौकरी की कमी नहीं है। आप एनजीओ, गवर्नमेंट डेवलपमेंट एजेंसी, को-ऑपरेटिव बैंक, इंश्योरेंस कंपनी, रिटेल कंपनी (फ्यूचर ग्रुप, रिलायंस, गोदरेज एग्रोवेट, भारती, आरपीजी) मल्टीनेशनल कंपनी या रूरल कंसल्टेंसी (आईटीसी ई-चौपाल, एससीएस ग्रुप, ग्रोसमैन ऐंड असोसिएट्स) और रिसर्च एजेंसी भी ज्वाइन कर सकते हैं। कुछ एनजीओ, जो रूरल मैनेजमेंट ग्रेजुएट्स को हायर करते हैं- ऐक्शन फॉर रूरल डेवलॅपमेंट, असोसिएशन फॉर वॉलन्टरी एजेंसीज फॉर रूरल डेवलपमेंट, आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम, बीएआईएफ, चिराग, डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स ऐंड इकोटेक सर्विस, इंटरनेशनल एनजीओ, गवर्नमेंट डेवलपमेंट एजेंसीज जैसे-डीआरडीए और एसआईआरडी, एकेडमिक ऐंड रिसर्च इंस्टीटयूट आदि में नौकरी की तलाश कर सकते हैं।

मनी टॉक

देश के टॉप मैनेजमेंट इंस्टीटयूट के स्टूडेंट्स की सैलरी उनके बैकग्राउंड पर भी निर्भर करती है। आमतौर पर रूरल मैनेजमेंट स्टूडेंट्स को शुरुआती दौर में चार से पांच लाख रुपये का सालाना सैलॅरी पैकेज मिल जाता है।

इंस्टीट्यूट वॉच

इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली

www.ignou.ac.in

एमिटी स्कूल ऑफ रूरल मैनेजमेंट, नोएडा

www.amity.edu

नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, गाजियाबाद, यूपी,

www.imt.edu

इंस्टीटयूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, आनंद, गुजरात

www. irma.ac.in

रूरल रिसर्च फाउंडेशन,जयपुर, राजस्थान

www.morarkango.com

इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट, कोलकाता,

www.iimcal.ac.in

नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट, हैदराबाद ,

www.nird.org.in

जेवियर इंस्टीटयूट ऑफ सोशल सर्विस, रांची, झारखंड,

www.xiss.ac.in

जेवियर इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट, भुवनेश्वर

www.ximb.ac.in

केआईआईटी स्कूल ऑफ रूरल मैनेजमेंट, भुवनेश्वर, उडीसा

www.ksrm.ac.in

amitnidhi@nda.jagran.com

अमित निधि

विकास की बयार

रूलर एरिया में करियर की क्या संभावनाएं हैं, इस पर हमने बात की एमिटी स्कूल ऑफ रूरल मैनेजमेंट के डायरेक्टर डॉ.पी.सी. सभरवाल से..

रूरल मैनेजमेंट क्यों जरूरी है?

भारत का 70 प्रतिशत एरिया रूरल के अंतर्गत आता है और हमारी इकोनॉमी भी कृषि आधारित है। ऐसे में रूरल मैनेजमेंट के तहत ग्रामीण इलाकों में विकास के कार्य को गति देना होता है, ताकि लोगों का पलायन ग्रामीण इलाकों से रुक सके। यही कारण है कि अर्बन एरिया में विकास कार्यो के बाद अब रूरल एरिया पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

यह कोर्स कितना पॉपुलर है?

इस कोर्स के प्रति स्टूडेंट्स को अधिक जानकारी नहीं है, लेकिन इस वर्ष के प्लेसमेंट रिकार्ड को देखें, तो रूरल मैनेजमेंट कोर्स में काफी संभावनाएं हैं। सरकार की योजनाओं से इस क्षेत्र की महत्ता और बढ गई है। आने वाले दिनों में यह हॉट कोर्स होगा।

सरकार ने बजट में रूरल डेवलपमेंट पर अधिक ध्यान दिया है। क्या इससे रोजगार में इजाफा होगा?

बिल्कुल, आज भारत ही नहीं, बल्कि अन्य देशों का फोकस ग्रामीण इलाकों पर अधिक है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले वर्षो में ग्रामीण विकास से ही देश की अर्थव्यवस्था का पहिया घूमेगा। कॉर्पाेरेट जगत, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय संस्था आदि अब ग्रामीण विकास की राह पर अग्रसर हैं। जहां तक सरकार की बात है, तो इनकी कई स्कीम हैं, जिससे रोजगार की संभावनाएं इस क्षेत्र में दिन-ब-दिन बढेंगी ही। इससे अलावा, कृषि विकास, कृषि उपकरण, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। मेरा मानना है कि रूरल इकोनॉमी मजबूत होगी, तो देश भी तरक्की करेगा।

होटल इंडस्ट्री सेवा में मेव

होटल इंडस्ट्री का सीधा रिश्ता पर्यटन से है और हर देश पर्यटन को बढावा दे रहा है। इसीलिए होटल इंडस्ट्री भी तेजी से बढ रही है। आने वाले समय में राष्ट्रमंडल खेल और क्रिकेट विश्वकप होने से इस इंडस्ट्री को काफी लाभ होने की संभावना है।

कैसे करें शुरुआत

होटल इंडस्ट्री में प्रवेश के रास्ते बारहवीं के बाद खुल जाते हैं। किसी भी संकाय से बारहवीं पास स्टूडेंटस होटल मैनेजमेंट में डिप्लोमा या डिग्री हासिल कर सकते हैं, लेकिन अगर आप ग्रेजुएशन के बाद होटल व्यवसाय में करियर बनाना चाहते हें, तो एमएससी इन होटल मैनेजमेंट और पीजी डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट की डिग्री हासिल कर करियर को ऊंचाई दे सकते हैं। इसके लिए एंट्रेस टेस्ट से गुजरना पडेगा। अधिकतर संस्थान ऑल इंडिया एडमिशन टेस्ट और इंटरव्यू द्वारा स्टूडेंट्स का चयन करते हैं।

कोर्स

होटल मैनेजमेंट में दो तरह के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। बारहवीं के बाद बीए इन होटल मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट, बैचलर डिग्री इन होटल मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन होटल ऐंड कैटरिंग मैनेजमेंट, बैचलर डिग्री इन हास्पिटैलिटी साइंस, बीएससी इन होटल मैनेजमेंट ऐंड कैटरिंग साइंस। इन कोर्सेज की अवधि 6 महीने से लेकर 3 साल तक है। कुछ कॉलेजों से आप पीजी डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट, एमएससी इन होटल मैनेजमेंट और एमए इन होटल मैनेजमेंट कर सकते हैं। इसकी अवधि है 2 साल। नई दिल्ली, मुबंई और बेंगलुरु स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कैटरिंग टेक्नोलॉजी एवं अप्लाइड न्यूट्रीशन संस्थान में विभिन्न स्पेशलाइज्ड कोर्सेज भी हैं। इन कोर्सेज की अवधि छह महीने से एक साल के बीच होती है। इन कोर्सेज के नाम हैं-फूड प्रोडक्शन मैनेजमेंट, डाएटिक्स ऐंड न्यूट्रीशन, हाउस कीपिंग, फ्रंट ऑफिस ऐंड टूरिज्म मैनेजमेंट आदि। एलबीआईआईएचएम के डायरेक्टर कमल कुमार के मुताबिक पहले लोग सीढी दर सीढी प्रोमोशन पाते थे। शुरुआत अपरेंटिसशिप और कैटरिंग से होती थी, लेकिन अब एमएससी इन होटल मैनेजमेंट कोर्स करके डायरेक्ट मैनेजर तक बन सकते हैं।

वेतन

सीएचएमएस की प्रिंसिपल श्रीमती कृति रंजन सिंह कहती हैं कि होटल मैनेजमेंट की काफी मांग है। यही वजह है कि सबसे बेहतरीन प्रोफेशनल कोर्स में शुमार होने लगा है। उनके मुताबिक सíटफिकेट कोर्स या डिप्लोमाधारी हैं, तो बतौर शुरुआती वेतन 10 हजार से 15 हजार रुपये जरूर मिलते हैं। अनुभव के बाद इससे भी अधिक पैसे मिलते हैं।

फीस

सरकारी संस्थानों में फीस कम है, लेकिन प्राइवेट संस्थानों से अगर होटल मैनेजमेंट में डिप्लोमा करना चाहते हैं, तो फीस 50 हजार से एक लाख रुपये तक देनी होगी, वहीं पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री के लिए डेढ से 2 लाख तक फीस है।

अवसर

एसोचैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2010 में होटल इंडस्ट्री सुनहरे दौर से गुजरेगी। इसकी वजह भी दिखती है, क्योंकि 2010 में राष्ट्रमंडल खेल एवं क्रिकेट व‌र्ल्डकप भारत में होना है। इन आयोजनों के दौरान लगभग एक करोड विदेशी पर्यटकों के भारत आने की संभावना है। ऐसे में उनके रहने के लिए अतिरिक्त होटलों की जरूरत होगी। होटल बनेंगे, तो वहां कर्मचारियों की जरूरत भी पडेगी। रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में वर्ष 2010 तक 600 नए होटल खुलने की संभावना है।

प्रत्येक कॉलेज में एक प्लेसमेंट सेल होती है। कोर्स करने के बाद कुछ सरकारी और निजी क्षेत्रों में रोजगार ही रोजगार हैं। लेकिन कहां और किस जगह आप पहली नौकरी पाएंगे, यह छात्रों की क्षमता और इंस्टीट्यूट के स्तर पर निर्भर करेगा। यह कहना है ग्रेटर नोएडा स्थित एफएचआरएआई के डायरेक्टर डॉ. जगमोहन नेगी का। कोर्स करने के बाद छात्रों को पंचतारा होटल, रेस्टोरेंट, एयरलाइंस के फूड सíवस, हॅास्पिटल, आ‌र्म्ड फोर्सेज, कॉर्पोरेट कैंटीन, मॉल्स, मल्टीप्लेक्स, रेलवे, शिपिंग में तो रोजगार के अवसर हैं ही, फास्ट फूड क्षेत्रों में भी रोजगार मिल सकता है। खुद का व्यवसाय तो आप शुरू कर ही सकते हैं।

प्रमुख संस्थान

इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, कैटरिंग टेक्नोलॉजी ऐंड अप्लायड न्यूट्रीशन, लाइब्रेरी एवेन्यू, पूसा, नई दिल्ली

दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट ऐंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी, ओल्ड गार्गी बिल्डिंग, लेडी श्रीराम कॉलेज के पीछे, लाजपत नगर, नई दिल्ली

ओबराय सेंटर ऑफ लíनंग ऐंड डेवलपमेंट, शामनाथ मार्ग, नई दिल्ली- एफएचआरएआई प्लॉट नंबर-45, नालेज पार्क-3, ग्रेटर नोएडा

एलबीआईआईएचएम, बी-98, पुष्पांजलि एनक्लेव, पीतमपुरा, दिल्ली

सीएचएमएस ईको-71, उद्योग विहार, ग्रेटर नोएडा

ताज ग्रुप होटल्स, ट्रेनिंग मैनेजर, द ताज महल होटल, मानसिंह रोड, नई दिल्ली

हैरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ होटल ऐंड टूरिज्म, वैभव नगर, ताज नगरी, आगरा

अलीगढ मुस्लिम यूनिवíसटी डिपार्टमेंट ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, फैकल्टी आफ कॉमर्स, अलीगढ, यूपी

इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, कैटरिंग टेक्नोलॉजी ऐंड अप्लायड न्यूट्रीशन, सेक्टर-जी, अलीगंज, लखनऊ

इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, उपाध्याय कंपलेक्स, कंकडबाग रोड, पटना

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ऐंड मैनेजमेंट, आईआईएस कॉम्पलेक्स, इंस्टीट्यूशनल एरिया, रांची (झारखंड)

इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, कैटरिंग टेक्नोलॉजी ऐंड अप्लायड न्यूट्रीशन, नियर एकेडमी ऑफ भोपाल, मध्यप्रदेश

डॉ. अम्बेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, सेक्टर-42 डी, चंडीगढ

यूनानी चिकित्सा कल भी, आज भी

आधुनिक युग में भी प्राचीन यूनानी चिकित्सा पद्धति का महत्व बरकरार है। इसलिए यूनानी चिकित्सकों की मांग दिन-ब-दिन बढती जा रही है।

क्या है यूनानी चिकित्सा

यह विश्व की सबसे पुरानी उपचार पद्धतियों में से एक है, जिसकी शुरुआत ग्रीस (यूनान) से हुई। इसीलिए इसे यूनानी पद्धति कहा जाता है। इस पद्धति के जनक ग्रीस के महान फिलॉसफर व फिजीशियन हिपोक्रेट्स थे। यूनानी पद्धति मुख्यत ह्यूमरल थ्योरी दम (ब्लड), बलगम, सफरा और सौदा पर बेस्ड है। भारत में यूनानी पद्धति अरब से आई और जल्द ही भारत में रच-बस गई। इसे भारत में लोकप्रिय बनाने का श्रेय हकीम अजमल खान को जाता है।

योग्यता एंव कोर्स

यूनानी डॉक्टर बनने के लिए 12वीं के बाद छात्र बीयूएमएस यानी बैचलर आफ यूनानी मेडिसिन ऐंड सर्जरी में एडमिशन ले सकते हैं। साढे पांच साल के इस कोर्स में वही छात्र दाखिला पा सकते हैं, जिनका अनिवार्य विषय के रुप में जीव विज्ञान और उर्दू रहा है। बीयूएमएस के बाद छात्र एमडी और एमएस भी कर सकते हैं। लेकिन एमएस यानी मास्टर ऑफ सर्जन की पढाई वर्तमान में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ही है।

अवसर

बतौर शिक्षक हिंदुस्तान के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में नियुक्त हो सकते हैं। हेल्थ सíवसेज, राज्य सरकार के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, हॉस्पिटल्स, नेशनल रूरल हेल्थ मिशन में बतौर मेडिकल ऑफिसर के तौर पर काम कर सकते हैं। बीयूएमस पासआउट को एमबीबीएस के समान दर्जा हासिल है। इसलिए खुद की प्रैक्टिस भी कर सकते हैं।

विशेषताएं

कई असाध्य रोगों का यूनानी में इलाज संभव है। मुख्य रूप से गठिया, सफेद दाग, एग्जिमा, आस्थमा, माइग्रेन, मलेरिया एंव फाइलेरिया। यूनानी चिकित्सा पद्धति में औषधियां जडी-बूटियों और खनिज पदार्थो से बनती हैं। बीमारियों की जांच नब्ज टटोलकर की जाती है।

प्रमुख संस्थान

जामिया हमदर्द, नई दिल्ली

आयुर्वेद यूनानी तिब्बी कॉलेज, करोलबाग, नई दिल्ली

गवर्नमेंट निजामी तिब्बी कॉलेज, चारमीनार, हैदराबाद, आंध्रप्रदेश

गवर्नमेंट तिब्बी कॉलेज, कदमकुआं, पटना

साफिया यूनानी मेडिकल कॉलेज, दरभंगा, बिहार

अजमल खान तिब्बी कॉलेज, अलीगढ, यूपी

जामिया तिब्बिया देवबंद, सहारनपुर, देवबंद, यूपी

स्टेट यूनानी मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद, यूपी

तिब्बिया कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल, बैतुल अमन, मुंबई

तकमील उतिब कालेज ऐंड हॉस्पिटल,लखनऊ, उत्तरप्रदेश

फजले गुफरान

बेहतर प्लेसमेंट

कोर्स करने के बाद प्राय: सभी को नौकरी मिल जाती है।

बीयूएमएस में दाखिले की प्रक्रिया क्या है?

इसमें दाखिले के लिए छात्रों को प्री यूनिवíसटी टेस्ट (पीयूटी) से गुजरना पडता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के यूनानी कॉलेजों में दाखिला तभी मिलेगा, जब आप कंबाइंड प्री मेडिकल टेस्ट (सीपीएमटी) परीक्षा पास करेंगे। बारहवीं में अच्छे अंक प्राप्त छात्र ही इस परीक्षा में बैठ सकते हैं। साढे पांच साल के इस कोर्स में एक साल इंटर्नशिप कराया जाता है।

प्लेसमेंट कितना हो पाता है?

इसमें सरकार का पूरा-पूरा सहयोग है। साथ ही ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस (जो यूनानी डॉक्टरों का एक बडा आर्गेनाइजेशन है) छात्रों को बीयूएमएस की डिग्री हासिल होते ही रोजगार मुहैया कराने के लिए अग्रसर रहता है। इस कारण प्लेसमेंट संतोषजनक है।

कोई स्पेशलाइज्ड कोर्स भी यूनानी चिकित्सा पद्धति में है?

कोई स्पेशलाइज्ड कोर्स तो नहीं है, लेकिन जल्द ही यूनानी चिकित्सा पद्धति के तहत सíटफिकेट कोर्स की मांग चल रही है, ताकि जो छात्र साढे पांच साल का बीयूएमएस कोर्स नहीं कर सकते, वे सíटफिकेट कोर्स कर जल्द से जल्द रोजगार पा सकें।

(रीजनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन, दिल्ली के रिसर्च ऑफिसर डॉ. सैयद अहमद खान से बातचीत पर आधारित)