बेशकीमती उपहार

सुमन तथा अर्पित दोनों बहुत बुद्धिमान विद्यार्थी थे। वे अपने माता-पिता और अध्यापकों की बातें बहुत ध्यान से सुना करते थे। वे दोनों हर अच्छी बात पर अमल कर के सबकी शाबाशी लेते थे।

एक दिन विज्ञान की अध्यापिका नलिनी शर्मा ने उन्हें बताया कि पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने पड़ेंगे तथा उनकी साज-संभाल भी करनी पड़ेगी। कक्षा के सभी विद्यार्थियों ने टीचर की बात सुनी, लेकिन सुमन और अर्पित ने केवल इन्हें सुनने के साथ-साथ उस बात पर अमल भी किया।

उन्होंने स्कूल से अपने और पांच दोस्तों को लेकर पौधे लगाने की योजना बनाई। उन्होंने नलिनी मैडम को भी अपनी इस योजना के बारे में बताया। मैडम उन्हें प्रिंसिपल के पास ले गईं। वे भी उनकी बात सुनकर बहुत खुश हुए।

अब सभी बच्चे उनसे स्वीकृति लेकर शहर के एक क्लब के अध्यक्ष के पास गए और उनसे विद्यालय में पौधे लगाने के लिए सहायता मांगी। अध्यक्ष बच्चों की योजना और उनकी बातों से काफी प्रसन्न थे। उन्होंने कहा, 'बच्चो, तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो। हम तुम्हारी हर तरह से सहायता करेंगे।'

फिर क्या था, क्लब ने उन्हें पौधे दे दिए। बच्चों ने क्लब से पौधे की देखभाल के बारे में भी पूछा। उन्होंने अपनी मेहनत से विद्यालय में पौधे लगाए। पौधे लगाने के बाद उन्होंने उनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी ली। वह स्कूल की पहली बेल बजने से काफी पहले ही स्कूल पहुंच जाते और पौधों को पानी देते। उनकी साफ-सफाई करते। जरूरत पड़ने पर छुट्टी होने के बाद भी उनकी देखरेख करते। वे टीचर्स को साथ लाकर उन्हें पौधे दिखाते और उनकी राय लेते। विद्यालय के सभी अध्यापक उन बच्चों के इस कार्य की खूब सराहना करते थे।

हां, इस काम में एक बड़ी समस्या आड़े आ रही थी। वह यह कि स्कूल का गेट खुला रह जाने पर पशु आकर उन पौधों को खा जाते थे। सबने इस समस्या के निदान के लिए फिर से उसी क्लब से सहायता मांगी, जिसने पहले उनकी सहायता की थी।

अध्यक्ष ने उनकी समस्या को ध्यान से सुना, फिर इसका बेहतर निदान भी कर दिया। उन्होंने ट्री गार्ड लगवा दिए। अब बच्चों का हौसला और बढ़ गया। उस दिन से उन्होंने पौधों की देखभाल और भी अच्छे ढंग से शुरू कर दी। उनमें से बहुत से पौधे सफल हो गए। कुछ दिन बाद बाल दिवस आने वाला था।

उसी क्लब में बाल दिवस मनाया गया। यहां यह समारोह हर वर्ष मनाया जाता था। लेकिन इस वर्ष यह उन बच्चों के लिए खास था। क्योंकि इस अवसर पर क्लब ने उन सभी बच्चों को सम्मानित किया, जिन्होंने पौधे लगाने का कार्य किया था। अध्यक्ष ने उन बच्चों को सम्मानित करते हुए कहा, 'बच्चो, आपका यह सम्मान आपके लिए बाल दिवस का उपहार है।'

[विजय कुमार]