ओवेरियन सिस्ट की समस्या सभी स्त्रियों को उनके जीवनकाल में कभी न कभी जरूर प्रभावित करती है।
दरअसल ओवरी के भीतर द्रव्य से भरी थैलीनुमा संरचनाएं होती हैं। प्रतिमाह पीरियड के दौरान थैली के आकार की एक संरचना उभरती है, जो फॉलिकल के नाम से जानी जाती है। इन फॉलिकल्स से एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रॉन नामक हॉर्मोस का स्त्राव होता है, जो ओवरी से मैच्योर एग की निकासी में सहायक होते हैं। कुछ मामलों में पीरियड की निश्चित अवधि खत्म हो जाने के बाद भी फॉलिकल का आकार बढता रहता है, जिसे ओवेरियन सिस्ट कहा जाता है।
कारण
1. आनुवंशिक प्रभाव
2. मोटापा
3. कम उम्र में पीरियड की शुरुआत
4. गर्भधारण में अक्षमता
5. हॉर्मोन्स का असंतुलन
लक्षण
1. पेट के निचले हिस्से में रुक-रुक कर दर्द और भारीपन महसूस होना
2. पीरियड का अनियमित और अधिक मात्रा में ब्लीडिंग होना
3. व्यायाम या सहवास के बाद पेल्विक क्षेत्र में दर्द महसूस होना
4. जी मिचलाना
5. वजाइना में दर्द
उपचार
सिस्ट का उपचार उसके आकार और लक्षणों की गंभीरता के आधार पर किया जाता है। आम तौर पर छोटे आकार वाले सिस्ट दो-तीन महीने के मासिक चक्र के बाद अपने आप दूर हो जाते हैं। लेकिन अगर सिस्ट दो या तीन महीने के बाद भी दूर नहीं होते या मेनोपॉज के बाद यह समस्या हो तो बिना देर किए कुशल स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए, अन्यथा यह सिस्ट कैंसर का रूप धारण कर सकता है। की होल सर्जरी और लैप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा इस समस्या का उपचार संभव है।