घर का व्यक्तित्व हैं एक्सेसरीज

मकान को घर बनाना कठिन, किन्तु बहुत ही उत्साहजनक कार्य है। ईट, गारा, सीमेंट और कंक्रीट के मकानों को घर बनाने में धन से ज्यादा हमारी भावनाएं, प्यार, समर्पण और व्यक्तित्व लगता है। इसी कारण बहुत से एक जैसे मकान अलग-अलग तरीके के घर दिखते है। इन अलग-अलग दिखने वाले घरों का मुख्य तत्व है, इनकी आंतरिक साज-सज्जा और रख-रखाव, जो हमारे व्यक्तित्व का आईना होता है।

हम कैसे व्यक्तित्व के स्वामी है, इसका सीधा प्रभाव हमारे घर की साज-सज्जा पर पड़ता है। घर में रखे फर्नीचर, दीवार पर लगाये गये रंग, सजायी गयी पेंटिंग्स और आर्टीफेक्ट्स, फर्नीशिंग्स आदि सभी हमारे व्यक्तित्व को प्रतिबिंबित करती है।

एक बार मकान ले लेने के बाद लोग सामान्यत: अपनी पसंद के अनुरूप घर की साज-सज्जा के स्टाइल को चुनते है। यह मार्डन, पारंपरिक, समकालीन या सबका सर्वोत्तम को-मिक्स हो सकता है। इन स्टाइलों के इर्द-गिर्द आप अपने घर की फ्लोरिंग, पेंटिंग, फर्नीचर, फर्नीशिंग्स आदि चुनती है, जो कि एक प्रकार से घर रूपी पेंटिंग का बैकग्राउंड बनाते है।

इस बैकग्राउंड के ऊपर आप भांति-भांति की एक्सेसरीज जो कि आर्टीफेक्ट्स, कालीन, पेंटिंग्स, म्यूरल, विशिष्ट सजावटी फर्नीचर, कालीन, फूल पत्ती आदि कुछ भी हो सकती हैं। इनको सजा इसे एक संपूर्ण पेंटिंग का रूप देते है, जो कि आपके व्यक्तित्व के विस्तार के रूप में घर में प्रदर्शित होती है। इन एक्सेसरीज का सही चुनाव और प्रयोग अति आवश्यक है, जिससे पूर्ण साज-सज्जा की एकरूपता बनी रहे।

शुरुआत करते है ड्राइंग रूम या लिविंग रूम से जहां साज-सज्जा मुख्यत: फॉर्मल होती है। साथ ही यह बाहर से आने वालों को स्वागत करती हुई प्रतीत होनी चाहिए। यहां उपलब्ध जगह के अनुरूप आप सजावटी सामान जैसे छोटी या बड़ी मूर्तियां, फ्लावर वास और अन्य भांति-भांति के आर्टीफेक्ट्स सजा सकती है।

दीवार पर भी आप पेटिंग्स, म्यूरल, वॉल हैगिंग्स या अन्य वॉल आ‌र्ट्स आदि सजा सकती है। इसी भांति फर्श पर दरी पर्शियन या भारतीय कालीन, एरिया रग्स आदि सजा सकती है। आजकल सोफों और दीवान पर 'थ्रो' का चलन भी है।

टेबल और पेडस्टल लैंप्स भी वह आकर्षक एक्सेसरीज हैं, जो प्रकाश के साथ-साथ साज-सज्जा को एक स्टाइल स्टेटमेंट देते है। टेबल और पेडस्टल लैंप्स की भांति अन्य फंक्शनल एक्सेसरीज जैसे दीवार घड़ियां, टेबल क्लॉक, कैंडल स्टैंड, दर्पण, संगीत वाद्य उपकरण, ऐश ट्रे आदि भी एक्सेसरीज के रूप में प्रयोग की जाती है। अपने प्रयोगात्मक पहलू के अतिरिक्त यह घर की सजावट को और भी बेहतर बना देती है।

लिविंग और ड्राइंग रूम ज्यादा फॉर्मल स्थान हैं, अत: यहां की साज-सज्जा पर ध्यान देना अति आवश्यक है। एक बात पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है कि एक्सेसरीज और साज-सज्जा की थीम एक सी ही हो। यदि लिविंग रूम की सज्जा का स्टाइल भारतीय है, तो उसके अनुरूप ही सजावट को कॉम्पलीमेंट करती हुयी एक्सेसरीज चुनें।

इसी भांति चुनी गयी एक्सेसरीज के बीच का तारतम्य भी बहुत जरूरी है। एक ही लिविंग रूम में एक साथ प्रदर्शित विभिन्न एक्सेसरीज के बीच एकरूपता अति आवश्यक है।

अक्सर एक्सेसरीज और सजावटी सामान एक साथ नहीं खरीदे जाते है। यह एक संग्रह है जो समय के साथ बढ़ता है, अत: हमेशा कोई नई वस्तु लेने से पूर्व इसका प्रयोग होने का स्थान और इसके आसपास रखी वस्तुओं से इसका संबंध जरूर सुनिश्चित करे।

लिविंग रूम के विपरीत बेडरूम और स्टडी रूम अति इनफार्मल जगहे है, किंतु यहां एक्सेसरीज का प्रयोग इन जगहों को एक व्यक्तिगत पहचान देता है। यहां पर आप अपनी पर्सनल पसंद की चीजों को सजाती है।

यहां पर भी टेबल या पेडस्टल लैंप, फोटो फ्रेम, दर्पण, वॉल या टेबल क्लॉक जैसी फंक्शनल एक्सेसरीज प्रयोग की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त खिलौने, अन्य प्लेयिंग इक्विपमेंट्स, किताबें, फ्लावर वॉस, पेंटिंग्स, पसंदीदा पोर्टेट आदि भी बेडरूम की एक्सेसरीज बन सकती है। यहां कालीन, एरिया रग्स के अतिरिक्त बेड कवर व कुशन्स भी प्रयोग किये जा सकते है।

बेडरूम की एक्सेसरीज में स्टाइल और आपस की एकरूपता के अतिरिक्त एक बिलॉगिंगनेस का भाव भी अति आवश्यक है अर्थात यहां रखी सजावटी वस्तुएं वह हों जिन्हे आप दिल से पसंद करती हों या यूं कहे प्यार करती हों।

इनके अतिरिक्त रसोईघर और बाथरूम जैसे सामान्यत: उपेक्षित किये जाने वाले स्थान भी एक्सेसरीज की सहायता से अति विशिष्ट दिखने लगते है।

रसोईघर में तो यहां पर प्रयोग होने वाले बर्तन, पैन, क्रॉकरी, कटलरी आदि ही सजावट के सामान बन जाते है। इसके अलावा मर्तबान, रंग-बिरंगे प्लास्टिक के बर्तन, ट्रे आदि भी सजावट के लिये इस्तेमाल किये जा सकते है। आर्टीफिशियल या ओरिजनल फूल-पत्ती भी रसोई और बाथरूम में सजायी जाती है।

बाथरूम में कॉस्मेटिक्स के अतिरिक्त खास बाथरूम एक्सेसरीज जैसे कांच के रंगीन बर्तन, हैड मेड टाइल्स की छोटी पेंटिंग्स आदि सजायी जा सकती है।

इसी प्रकार घर के अन्य हिस्सों जैसे बच्चों का कमरा, गेस्ट रूम या घर के बुजुर्गो का कमरा सभी उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सजाए जा सकते है।

उपयुक्त एक्सेसरीज से तो आजकल घर के बरामदा, गैलरी, बालकनी और गार्डेन को भी बहुत विशिष्ट लुक दिया जा रहा है।

[राहुल तिवारी]