सांसों में भर लो सूरज

जीव-वैज्ञानिक विलियम हार्वे का यह कथन काफी हद तक सत्य है कि ऊर्जा ही जीवन है। जब हम-आप ऊर्जा से परिपूर्ण होते है, तब हममें जीवन और कार्यो को करने के प्रति जोश भरा रहता है, मन प्रसन्न रहता है और दुनिया अच्छी लगती है। इसके विपरीत जब हम थके होते है, तब अक्सर मारा मन उदास हो जाता है। किसी कार्य में आपका मन नहीं लगता और आपको दुनिया सूनी-सूनी नजर आती है। इस स्थिति में आपको एक बार फिर थकान मिटाकर ऊर्जावान बनने की जरूरत होती है।

[सांसों पर ध्यान]

कोई दूसरा कार्य करने से पहले कुछ मिनटों इत्मीनान से बैठ जाएं। इसके बाद सांस लेने और इसके निकालने की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करे। कहने का मतलब यह कि आती सांस और जाती सांस को दृष्टा बनकर देखें। ऐसा करने से बाहरी जगत के तनावों आदि से दूर रहकर आपका ध्यान सांसों पर एकाग्र होगा। इसके बाद आपके तन-मन में ऊर्जा का संचार होगा।

[मांसपेशियों को विश्राम]

अत्यधिक काम करने से आपके शरीर के विभिन्न भागों की मांसपेशियों में खिंचाव पैदा हो जाता है। वहीं आपके शरीर की रक्त संचार प्रक्रिया पर भी दबाब पड़ता है। इसलिए 5 से 10 मिनट तक लेट जाएं और अपने शरीर को पूरी तरह से ढीला छोड़ दें। ऐसा करने से आपकी मांसपेशियों को विश्राम मिल जाएगा और वहीं रक्त संचार भी सुचारु रूप से संचालित होने लगेगा।

[सूर्योदय का वरदान]

जिस तरह अंधेरे या कम से कम रोशनी की स्थिति आपके लिए सोने में सहायक है, ठीक इसी तरह सूर्योदय के समय 10 मिनट का वक्त गुनगुनी धूप में रहे। ऐसा करने से आपके शरीर की उपापचय क्रिया सक्रिय हो जाती है, जो आपकी अच्छी सेहत के लिए आवश्यक है। यह कहना है डॉ. फ्रैंक लिपमैन का।

[पसंदीदा व्यायाम]

धीमी गति से व्यायाम करने से तनाव को दूर करने में मदद मिलती है। अपना पसंदीदा कार्डियो व्यायाम करे। शुरुआती एक मिनट तक उस व्यायाम को तेज गति से करे और फिर अगले दो मिनट तक उसे धीमी गति से करे। इस प्रक्रिया को आप 20 से 30 मिनट तक कर सकती है।