िफर से निकल सकते है केश

केश महिलाओं के सौंदर्य में इजाफा करते है, वहीं सुंदर केश सज्जा से पुरुषों का भी लुक्स निखरता है। प्रदूषण, संतुलित पोषण का अभाव और अन्य कारणों से इन दिनों बाल झड़ने की समस्या गंभीर रूप अख्तियार करती जा रही है।

[तनाव का असर व अन्य कारण]

एक बाल का औसत कार्यकाल 2 से 4 साल तक रहता है। इनमें से 90 फीसदी बाल किसी न किसी रूप में बढ़ते रहते है, जबकि 10 प्रतिशत बाल गिरने की अवस्था में होते है। प्रतिदिन सामान्यत: 100 बाल टूटते है। डेन्ड्रफ के अलावा बालों की सेहत पर तनाव का गहरा असर पड़ता है। अमेरिका में हुए एक अध्ययन के अनुसार जो लोग तनावमुक्त रहते है, उनकी तुलना में तनावग्रस्त रहने वाले लोगों में बालों के गिरने का खतरा तीन से चार गुना तक बढ़ जाता है। कुछ दवाओं के कारण भी बालों का झड़ना शुरू हो जाता है। कीमोथेरैपी के कारण भी बाल तेजी से गिरने लगते है।

अभी तक बाल झड़ने व गंजेपन की समस्या का कोई कारगर इलाज नहीं था, किन्तु अब मीजोथेरैपी के आने से इस समस्या के उपचार में क्रांति आ चुकी है।

मीजोथेरैपी के प्रयोग से प्राकृतिक बाल फिर से आने लगते है। इस थेरैपी में केशों की जड़ों को फिर से सक्रिय कर दिया जाता है, लेकिन जिन लोगों में बालों की जड़े नहीं है, उनके लिए मीजोथेरैपी कारगर नहीं है। ऐसे मामलों में हेयर फॉलिकिल्स ट्रांसप्लांट की तकनीक प्रयोग की जाती है।

[क्या है विधि]

मीजोथेरैपी की तकनीक के तहत एक विशेष प्रकार के लिक्विड को केशों की जड़ों में इंजेक्ट किया जाता है। इस लिक्विड की खासियत है कि यह बालों के फालिकिल्स को उत्तोजित कर देता है और फालिकिल्स पुन: सक्रिय होकर बालों का उत्पादन करने लगते है। परिणामस्वरूप गंजापन समाप्त होने लगता है। इस थेरैपी में रोगी को कम से कम तीन सिटिंग्स लेनी पड़ती है। जो कम से कम 15 से 20 दिन के अन्तराल पर होती है। एक ही सिटिंग के बाद परिणाम सामने आने लगते है। इसके अलावा बालों को विशेष प्रकार का पोषण देना होता है, जिसके लिए अलग से दवाएं दी जाती है। कुल मिलाकर डेढ़ से दो माह के अंतराल में ही इतने बाल आ जाते है कि लोगों को विश्वास नहीं होता है कि ऐसा भी संभव है। ये केश पूरी तरह से प्राकृतिक होते है।

[डॉ. मीनू सिंह]