चेरी एक फायदे हजार

प्रकृति के इस अनुपम फल में केवल खूबसूरती ही नहीं, फायदे भी हैं। इसे खाने से न केवल दिल के रोगी होने पर अंकुश लगता है, बल्कि कैंसर के खतरे भी कम होते हैं। चेरी में मेलाटोनिन नामक तत्व भरपूर मात्रा में होता है। यह तत्व हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। चेरी में एंथोसाइनिन नामक लाल पिगमेंट भी पाया जाता है। यह एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। विटमिन सी और एंथोसाइनिन से हमारे शरीर में पाया जाने वाला कोलाजेन मजबूत होता है। डॉक्टरों का कहना है कि चेरी हृदयाघात व कैंसर के खतरे को 50 प्रतिशत कम कर देता है। यह आर्थराइटिस, गठिया और सिरदर्द के इलाज में भी सहायक है। इसके अलावा जी मिचलाने और उल्टी की शिकायत भी इस छोटे से फल से दूर हो सकती है। ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और डायरिया के इलाज में भी चेरी मददगार होती है।

डाइटीशियन चेरी को विटमिन सी और के का अच्छा स्त्रोत मानते हैं। इनमें थायमीन, राइबोफ्लैविन, विटमिन बी-6 और पैटोथेनिक अम्ल भी काफी मात्रा में होता है। इसमें नायसिन, फोलेट और विटमिन ए का भी अंश होता है। पोटेशियम और मैगनीज जैसे खनिजों से युक्त चेरी में कॉपर, आयरन, कैल्शियम और फास्फोरस भी संक्षिप्त मात्रा में होते हैं। 100 ग्राम चेरी में 63 कैलरी होती है। इसके फायदों को देखते हुए ही मई में चेरी डेजर्ट डे मनाया जाता है। रेशे से भरपूर चेरी में पानी और कार्बोहाइड्रेट होता है, लेकिन सैचुरेटेड वसा, कोलेस्ट्रॉल और सोडियम की मात्रा कम होती है।

तौबा करें गुस्से से

हाल ही में हुए अध्ययन से यह पता चला है कि क्रोध और ईष्र्या का कोरोनरी डिजीज से गहरा रिश्ता हो सकता है। इस शोध में दोनों चीजों को हार्ट के लिए बेहद नुकसानदेह पाया गया। ये स्थिति पुरुषों के लिए विशेषकर चिंताजनक थी। जहां आम तौर पर हृदय संबंधी बीमारी होने का खतरा 19 प्रतिशत होता है वहीं पुरुषों में ये खतरा 24 फीसदी तक बढ सकता है। शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि रोजमर्रा की खीझ और तनाव का असर पुरुषों पर ज्यादा होता है। उनकी हिदायत थी कि ऐसे मरीजों को बिहेवियर थेरेपी का सहारा जरूर लेना चाहिए।

सोना कितना सोना है

इस बात को मान लीजिए कि सोना वाकई सेहत के लिए सोना है। अब सवाल यह उठता है कि सोना कितना चाहिए? कामयाब लोग चार से पांच घंटे की नींद को पर्याप्त मानते हैं और उसके पक्ष में दलील देते हैं। बहुत से लोग नौ घंटे की नींद को सही बताते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि स्वस्थ रहने के लिए सात से आठ घंटे की नींद पर्याप्त है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान केन्यूरोलॉजिस्ट डॉ.अचल श्रीवास्तव का कहना है कि सुबह संतुष्ट होकर उठें तो समझें कि नींद पूरी हो गई। रात में अकसर जिनकी नींद बार-बार खुलती है उन्हें पूरी नींद के फायदों से वंचित रहना पडता है। नींद पूरी न होने पर काम में मन न लगना, झल्लाना, सिर दर्द होना, चिडचिडाना, मांसपेशियों में खिंचाव तथा याददाश्त में कमी देखी जा सकती है। यहां तक कि डिप्रेशन भी हो सकता है। सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. के.के. अग्र वाल का कहना है कि युवाओं सहित सभी के लिए सात से आठ घंटे की नींद जरूरी है।

अन्यथा ब्लड प्रेशर बढ सकता है। नींद आपको रिचार्ज करती है। जिससे शरीर की कोशिकाओं के पुनर्निर्माण का काम होता है। शरीर को आराम मिलने के साथ मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है। इससे पेट ठीक रहता है व देखने-सुनने की इंद्रियां भी ठीक से काम करती हैं। नींद की कमी से दिमाग का न्यूरोट्रांसमीटर हाई हो जाता है, जिससे दिमाग के न्यूरॉन्स को नुकसान पहुंचता है। स्ट्रेस लेवल बढने से सीरम कार्टिजोलिक व अन्य हार्मोस बढने से हृदयरोग, कोरोनरी आर्टरीज, शुगर थायरॉयड तक हो सकता है। अब जान जाइए कि सोना कितना जरूरी है।

संगीत से करें बुद्धि का विकास

केनेडा के शोधकर्ताओं के अनुसार यदि छोटे बच्चों को संगीत का प्रशिक्षण दिया जाए तो उनमें सीखने की कला, याददाश्त तथा आई क्यू लेवल बढता है। शोधकर्ताओं ने चार से छह साल के कुछ बच्चों को दो समूह में बांटा। एक समूह में संगीत सीखने वाले बच्चों को रखा, तो दूसरे में संगीत में रुचि न रखने वाले बच्चों को। एक साल बाद जब शोधकर्ताओं ने इन बच्चों का आई क्यू लेवल और मेमरी टेस्ट लिया तो परिणाम में पाया कि संगीत सीखने वाले बच्चों की याददाश्त, सीखने की क्षमता, गणित और आई क्यू तेज निकला। जबकि वे बच्चे जो संगीत से दूर थे सामान्य ही रहे। यदि आप अपने बच्चे को काबिल बनाने की तमन्ना रखते हैं तो उसकी रुचि संगीत में जगाइए। शायद आपका बच्चा मेधावी बन जाए।

सखी प्रतिनिधि