आपके फैसले जीन के हाथ

हाल ही में यूनीवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में हुए शोध के नतीजे यह थे कि आप जो भी फैसला लेते हैं वह सिर्फ आपके स्वभाव पर ही निर्भर नहीं करता, बल्कि इसके पीछे आपके कुछ जीन भी होते हैं। निर्णय लेने में किसी व्यक्ति की जेनेटिक संरचना महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। शोध टीम के प्रमुख डॉ.जोनाथन रोजर का कहना है कि निर्णय लेना एक जटिल प्रक्रिया है। विशेषकर उस समय जब हम निर्णय के वक्त पसोपेश में पडे हों। रोजर का कहना है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया वास्तव में सेरोटोनिन ट्रांसपोर्टर जीन में उतार-चढाव से प्रभावित होती है। यह प्रक्रिया दिमाग में भावनात्मक प्रतिक्रिया को भी प्रभावित करती है। यू.सी.एल. के अध्ययन के मुताबिक दिमाग का एमिगडाला हिस्सा निर्णय लेते वक्त भावनाओं को सक्रिय कर देता है। इसी से प्रभावित हो हम निर्णय लेते हैं। वे निर्णय सकारात्मक व नकारात्मक दोनों हो सकते हैं।

स्टेम सेल से जुडेंगी हड्डियां

अगर इस दावे को सच मान लें तो निकट भविष्य में हड्डियों की चोट का इलाज बांह पर एक छोटा सा इंजेक्शन लगाकर किया जा सकता है। ब्रिटिश वैज्ञानिक एक ऐसी स्टेम सेल तकनीक का परीक्षण कर रहे हैं, जिसमें रोगी के शरीर में स्टेम सेल्स को इंजेक्ट कर मैगनेट की मदद से निर्देशित किया जाएगा। यह स्टेम सेल घायल हड्डी के पास पहुंच हड्डी और उपास्थि में बदल जाएगा। इस तकनीक में उन स्टेम सेल्स का प्रयोग किया जाता है, जिनमें दूसरे सेल्स के रूप में परिवर्तित होने की क्षमता होती है। इन्हें उसी व्यक्ति के बोन मैरो से लिया जाएगा, जिसमें इन्हें इंजेक्ट किया जाना है। शरीर में इंजेक्ट करने से पहले इन स्टेम सेल्स पर मैगनेटिक कणों की परत चढाई जाती है। एक मैगनेट ब्रेसलेट की मदद से इस स्टेम सेल को शरीर के क्षतिग्रस्त हिस्से तक पहुंचाया जाएगा। यही चुंबकीय क्षेत्र इस सेल को हड्डी या उपास्थि के रूप में परिवर्तित होने में मदद करेगा। इस तकनीक की मदद से फ्रैक्चर और जोडों के रिप्लेसमेंट जैसे मामलों में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद है। मरीज स्टेम सेल का इंजेक्शन लगाकर घर जा सकता है। अभी तक हड्डियों को जोडने के लिए मेटल प्लेट्स और पिन का इस्तेमाल किया जाता रहा है।

चौडी कमर दिल के लिए नुकसानदेह

यदि आप देखने में ठीक-ठाक हैं तो भी सजग होने की जरूरत है। हाल ही में हुए अध्ययन बताते हैं कि कमर के आसपास चार इंच से ज्यादा चर्बी बढने से दिल की बीमारी होने का खतरा बढ जाता है। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि जिन स्त्रियों के पेट के आसपास अतिरिक्त चर्बी होती है उनकी दिल की बीमारी का खतरा 15 प्रतिशत तक बढ जाता है। वहीं पेट के पास चर्बी जमा होने वाले पुरुषों को यह खतरा 16 फीसदी बढ जाता है।

शोध में विभिन्न तरह की दिल की बीमारियों और स्वास्थ्य से जुडे मुद्दों पर गौर किया गया। इस शोध में यह बात लगातार उजागर हुई कि वजन बढने से दिल की बीमारी होने के खतरे बढ जाते हैं। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के लिए 45 और 83 साल की आयु के बीच के 80 हजार लोगों की लंबाई, वजन तथा उनकी कमर का नाप लिया गया। निष्कर्ष में पाया गया कि चर्बी युक्त पेट होने से बॉडी मास इंडेक्स वाले लोगों में भी दिल की बीमारी का खतरा 18 प्रतिशत तक बढ गया।

गर्म चाय से सावधान रहें

अधिकतर लोग गर्मागर्म चाय पीने के ही शौकीन होते हैं। ऐसा है तो सावधान हो जाएं। ये गर्म चाय की चुस्कियां गले में कैंसर का फंदा डाल सकती हैं। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपे नए अध्ययन के मुताबिक ज्यादा गर्म चाय पीने से खाने की नली का या गले का कैंसर होने का खतरा आठ गुना तक बढ जाता है। ईरान में चाय बहुत अधिक पी जाती है। वहां जो लोग सिगरेट और तंबाकू का सेवन नहीं करते थे उन्हें भी जब इसोफेगल कैंसर की शिकायत पाई गई तो रिसर्च के दौरान यह सच सामने आया कि तेज गर्म चाय गले के टिश्यूज को नुकसान पहुंचाती है। चाय आंच से उतारने के दो मिनट के भीतर पीने वालों को कैंसर का खतरा उन लोगों से पांच गुना बढ जाता है, जो चार या पांच मिनट के बाद पीते हैं। करीब पचास हजार लोगों की चाय के तापमान पर यह अध्ययन हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार चाय पीने और कप में डालने के बीच दस मिनट का अंतर होना चाहिए।

सखी प्रतिनिधि