ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में न सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व बदलाव आया है, बल्कि इसने भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर को भी नई दिशा प्रदान की है। जाहिर है, इससे कॉर्पोरेट सेक्टर में नई-नई नौकरियां सामने आ रही हैं। अगर आप भी कॉर्पोरेट सेक्टर में अपने करियर को नया आयाम देना चाहते हैं, तो फाइनेंशियल एक्सपर्ट के रूप में करियर का आगाज कर सकते हैं।
कोर्स
इसमें डिप्लोमा कोर्सेज के अलावा मास्टर डिग्री के कोर्स भी उपलब्ध हैं। फाइनेंस से संबंधित कोर्स में फाइनेंशियल अकाउंटिंग और इकोनॉमिक्स पर खास जोर दिया जाता है। यह कोर्स चार्टर्ड अकाउंटेंट, कॉस्ट अकाउंटेंट, सीएस और एमबीए प्रोफेशनल्स में काफी लोकप्रिय है।
योग्यता
कॉमर्स बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स के लिए यह सबसे पसंदीदा क्षेत्र है। लेकिन अन्य स्ट्रीम के स्टूडेंट्स भी इसमें करियर बना सकते हैं। इसमें प्रवेश पाने के लिए न्यूनतम योग्यता किसी भी संकाय में 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास जरूरी है। एडमिशन के लिए मेरिट या एंट्रेंस टेस्ट होता है।
कार्य
फाइनेंशियल सर्विस से जुडे प्रोफेशनल्स का मुख्य कार्य ऑर्गनाइजेशन के लिए मनी क्रिएट करना, कैश जनरेट करना और किसी भी इन्वेस्टमेंट पर अधिक से अधिक रिटर्न प्रदान करना होता है। इसके साथ ही, फाइनेंशियल प्लॉनिंग में भी इनका अहम योगदान होता है। फाइनेंस से जुडे लोगों को किसी भी कंपनी के संपूर्ण वित्तीय प्रबंधन को समझना होता है और शीर्ष प्रबंधकों को वित्तीय और आíथक नीति बनाने और उन्हें लागू करने में मदद करना होता है। इसके अलावा क्रेडिट कार्ड आपरेशंस का भी क्षेत्र है, जहां फाइनेंस के जानकारों का भरपूर इस्तेमाल होता है।
संभावनाएं
इंटरनेशनल कंसल्टिंग फर्म सेलेंट के मुताबिक, इंडियन वेल्थ मैनेजमेंट सर्विस का मार्केट वर्ष 2007 में 1.3 करोड के करीब था, जिसके वर्ष 2012 तक बढकर 4.2 करोड तक पहुंच जाने की उम्मीद है। परफॉर्मेस के लिहाज से भारत दुनिया का तीसरा सबसे बडा मार्केट के रूप में उभरा है। अर्नेस्ट यंग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत आईपीओ के मामले में दुनिया का पांचवां सबसे बडा देश है। भारत म्यूचुअल फंड के क्षेत्र में सबसे तेजी से विकास कर रहा है और आने वाले तीन वर्षो में यह सेक्टर 30 प्रतिशत की दर से बढ सकता है। यह मार्केट जुलाई 2007 में 118.85 अरब डॉलर के करीब था, जिसके वर्ष 2010 तक 241.79 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। इंडियन बैंकिंग सेक्टर की विकास दर 20 प्रतिशत के करीब है। इतना ही नहीं, एशिया के टॉप 50 बैंक में नौ भारतीय बैंक शामिल हैं। वहीं फोर्ब्स के टॉप 50 माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट में भारत के सात इंस्टीट्यूट शामिल हैं। ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म केएमपीजी के मुताबिक, इंडियन फाइनेंशियल केपीओ (नॉलेज प्रॉसेस आउटसोर्सिग) इंडस्ट्री का रेवेन्यू वर्ष 2010 तक पांच अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। इस रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि फाइनेंशियल आउटसोर्सिग सर्विस बढने की वजह टैलॅन्टेड प्रोफेशनल्स की उपलब्धता, ऑफशोर लोकेशन और बेहतर ऑउटसोर्सिग स्ट्रेटेजी आदि है।
नौकरी
फाइनेंस में योग्यता प्राप्त प्रोफेशनल्स को कॉर्पोरेट फाइनेंस, इंटरनेशनल फाइनेंस, मर्चेंट बैंकिंग, फाइनेंशियल सíवसेज, कैपिटल ऐंड मनी मार्केट, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट, स्टॉक ब्रोकिंग, शेयर, रजिस्ट्री, क्रेडिट रेटिंग आदि में नौकरी मिल सकती है। सरकारी बैंकों के अलावा, निजी और विदेशी बैंकों की बढती आर्थिक गतिविधियों की वजह से फाइनेंशियल एक्सपर्ट,फाइनेंशियल नालिस्ट, फाइनेंशियल प्लानर, वेल्थ मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स आदि की डिमांड तेजी से बढी है। प्राइवेट बैंकों की बात करें, तो एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, विदेशी बैंक जैसे-एबीएन मरो, सिटीगोल्ड वेल्थ मैनेजमेंट, सिटी बैंक, डच बैंक, एचएसबीसी आदि में भरपूर अवसर हैं। इसके अलावा, इंवेस्टमेंट फर्म जैसे-डीएसपी मैरील लाइंच, कोटक सिक्योरिटीज, आनंद राठी इंवेस्टमेंट और जे.एम मार्गन स्टेंली में भी रोजगार के अवसर तलाश सकते हैं। इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से भी आप नौकरी पा सकते हैं।
वेतन
इस क्षेत्र में आने के बाद पैसे की कमी नहीं है। जहां तक वेतन का प्रश्न है, तो वह योग्यता, अनुभव, संस्थान के आकार और प्रकार पर निर्भर करता है।
संस्थान
डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल स्टडीज, दिल्ली विश्वविद्यालय, साउथ कैंपस, नई दिल्ली-21
कॉलेज ऑॅफ बिजनेस स्टडीज,दिल्ली विश्वविद्यालय,विवेक विहार, फेज-2, दिल्ली-95
द इंस्टीट्यूट ऑॅफ कम्प्यूटर अकाउंट्स, प्लॉट नं- 31, इंद्रदीप बिल्डिंग, कम्यूनिटी सेंटर, नियर अशोक विहार क्रॉसिंग, दिल्ली-52
आई-360, स्टाफिंग ऐंड ट्रेनिंग सॉल्यूशंस प्रा. लि. ए-1-171, दूसरा तल, नजफगढ रोड, जनकपुरी, नई दिल्ली-58
बीएलबी इंस्टीटयूट ऑफ फाइनेंशियल मार्केट चौथी मंजिल, गुलाब भवन, 6, बहादुरशाह जफर मार्ग, नई दिल्ली-2
अलीगढ मुस्लिम यूनिवíसटी फैकल्टी ऑफ कामर्स,अलीगढ
द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट ऑफ इंडिया, 52 नागार्जुन हिल्स, हैदराबाद इसके अलावा इस इंस्टीट्यूट की शाखाएं लखनऊ, कोलकाता, चैन्नई और पुणे में भी हैं।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, नालंदा परिसर, 169, रविन्द्रनाथ टैगोर मार्ग, इंदौर
कुरुक्षेत्र यूनिवíसटी,फैकल्टी ऑफ कामर्स ऐंड बिजनेस स्टडीज, कुरुक्षेत्र
यूनिवíसटी ऑफ लखनऊ,फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, बादशाह बाग, लखनऊ
महíष दयानंद यूनिवíसटी,फैकल्टी ऑफ कॉमर्स ऐंड बिजनेस मैनेजमेंट रोहतक
उत्कल यूनिवíसटी,फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, वाणी विहार, भुवनेश्वर
फजले गुफरान
मंदी के बावजूद इसमें काफी अवसर हैं। वित्त क्षेत्र में किसी भी तरह की विशेषज्ञता रखने वालों के लिए नौकरियों की कमी नहीं है।
बेहतर संभावनाएं फाइनेंस में
फाइनेंशियल सíवसेज में करियर बनाने वालों की संख्या क्यों बढती जा रही है?
हर क्षेत्र में कुछ चुनौतियां होती हैं, तो संभावनाएं भी। मंदी के बावजूद इस सेक्टर में काफी संभावनाएं हैं। यह सेक्टर काफी बडा है। वित्त क्षेत्र में किसी भी तरह की विशेषज्ञता रखने वालों के लिए नौकरियों की कमी नहीं है। बैंकिंग, इंश्योरेंस सेक्टर, मार्केटिंग, सार्वजनिक सेक्टर, निजी व गैर सरकारी संस्थाओं के अलावा भी कई जगह इनका प्लेसमेंट हो रहा है।
फाइनेंशियल सíवसेज में करियर बनाने वालों के लिए क्या यह उपयुक्त समय है?
बिल्कुल, इस सेक्टर में करियर बनाने वालों के लिए यह बेहद उपयुक्त समय है। वर्ल्डवाइड ग्रोथ हो रही है। हिन्दुस्तान में ही 51 से 52 फीसदी रोजगार के अवसर हैं। कमोडिटी मार्केट का विस्तार हो रहा है। बैंकिंग सेक्टर में सुधार हो रहा है। बीमा क्षेत्र भी भविष्य का निर्माण तय करने में जुटा है। यानी इन सभी क्षेत्रों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है।
लेकिन मंदी का सबसे व्यापक असर तो फाइनेंशियल सेक्टर पर ही पडा है?
यह सब क्षणभंगुर है। जल्द ही बादल छंट जाएंगे। यह सेक्टर इतना बडा है कि इसकी महत्ता कभी कम नहीं हो सकती है। जल्द ही देश की इकोनॉमी में तेजी आएगी और नए क्षेत्रों में रोजगार के अवसर खुलेंगे। फाइनेंशियल सíवसेज में करियर बनाने वालों को क्या सलाह देना चाहेंगे?
यहां औसत से लेकर प्रतिभावान, दोनों तरह के स्टूडेंट्स के लिए करियर संवारने का मौका है। इस सेक्टर से पढाई करने वाले कहीं भी एडजस्ट हो सकते हैं, जबकि दूसरे विषय के छात्रों के साथ ऐसा नहीं हैं। यूं तो 12 वीं के बाद ही करियर की राह खुल जाती है, लेकिन डिग्री या पीजी हैं, तो आपके लिए बेहतर अवसर हो सकते हैं।
(डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल स्टडीज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. संजय सहगल से बातचीत)