यूनानी चिकित्सा कल भी, आज भी

आधुनिक युग में भी प्राचीन यूनानी चिकित्सा पद्धति का महत्व बरकरार है। इसलिए यूनानी चिकित्सकों की मांग दिन-ब-दिन बढती जा रही है।

क्या है यूनानी चिकित्सा

यह विश्व की सबसे पुरानी उपचार पद्धतियों में से एक है, जिसकी शुरुआत ग्रीस (यूनान) से हुई। इसीलिए इसे यूनानी पद्धति कहा जाता है। इस पद्धति के जनक ग्रीस के महान फिलॉसफर व फिजीशियन हिपोक्रेट्स थे। यूनानी पद्धति मुख्यत ह्यूमरल थ्योरी दम (ब्लड), बलगम, सफरा और सौदा पर बेस्ड है। भारत में यूनानी पद्धति अरब से आई और जल्द ही भारत में रच-बस गई। इसे भारत में लोकप्रिय बनाने का श्रेय हकीम अजमल खान को जाता है।

योग्यता एंव कोर्स

यूनानी डॉक्टर बनने के लिए 12वीं के बाद छात्र बीयूएमएस यानी बैचलर आफ यूनानी मेडिसिन ऐंड सर्जरी में एडमिशन ले सकते हैं। साढे पांच साल के इस कोर्स में वही छात्र दाखिला पा सकते हैं, जिनका अनिवार्य विषय के रुप में जीव विज्ञान और उर्दू रहा है। बीयूएमएस के बाद छात्र एमडी और एमएस भी कर सकते हैं। लेकिन एमएस यानी मास्टर ऑफ सर्जन की पढाई वर्तमान में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ही है।

अवसर

बतौर शिक्षक हिंदुस्तान के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में नियुक्त हो सकते हैं। हेल्थ सíवसेज, राज्य सरकार के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, हॉस्पिटल्स, नेशनल रूरल हेल्थ मिशन में बतौर मेडिकल ऑफिसर के तौर पर काम कर सकते हैं। बीयूएमस पासआउट को एमबीबीएस के समान दर्जा हासिल है। इसलिए खुद की प्रैक्टिस भी कर सकते हैं।

विशेषताएं

कई असाध्य रोगों का यूनानी में इलाज संभव है। मुख्य रूप से गठिया, सफेद दाग, एग्जिमा, आस्थमा, माइग्रेन, मलेरिया एंव फाइलेरिया। यूनानी चिकित्सा पद्धति में औषधियां जडी-बूटियों और खनिज पदार्थो से बनती हैं। बीमारियों की जांच नब्ज टटोलकर की जाती है।

प्रमुख संस्थान

जामिया हमदर्द, नई दिल्ली

आयुर्वेद यूनानी तिब्बी कॉलेज, करोलबाग, नई दिल्ली

गवर्नमेंट निजामी तिब्बी कॉलेज, चारमीनार, हैदराबाद, आंध्रप्रदेश

गवर्नमेंट तिब्बी कॉलेज, कदमकुआं, पटना

साफिया यूनानी मेडिकल कॉलेज, दरभंगा, बिहार

अजमल खान तिब्बी कॉलेज, अलीगढ, यूपी

जामिया तिब्बिया देवबंद, सहारनपुर, देवबंद, यूपी

स्टेट यूनानी मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद, यूपी

तिब्बिया कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल, बैतुल अमन, मुंबई

तकमील उतिब कालेज ऐंड हॉस्पिटल,लखनऊ, उत्तरप्रदेश

फजले गुफरान

बेहतर प्लेसमेंट

कोर्स करने के बाद प्राय: सभी को नौकरी मिल जाती है।

बीयूएमएस में दाखिले की प्रक्रिया क्या है?

इसमें दाखिले के लिए छात्रों को प्री यूनिवíसटी टेस्ट (पीयूटी) से गुजरना पडता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के यूनानी कॉलेजों में दाखिला तभी मिलेगा, जब आप कंबाइंड प्री मेडिकल टेस्ट (सीपीएमटी) परीक्षा पास करेंगे। बारहवीं में अच्छे अंक प्राप्त छात्र ही इस परीक्षा में बैठ सकते हैं। साढे पांच साल के इस कोर्स में एक साल इंटर्नशिप कराया जाता है।

प्लेसमेंट कितना हो पाता है?

इसमें सरकार का पूरा-पूरा सहयोग है। साथ ही ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस (जो यूनानी डॉक्टरों का एक बडा आर्गेनाइजेशन है) छात्रों को बीयूएमएस की डिग्री हासिल होते ही रोजगार मुहैया कराने के लिए अग्रसर रहता है। इस कारण प्लेसमेंट संतोषजनक है।

कोई स्पेशलाइज्ड कोर्स भी यूनानी चिकित्सा पद्धति में है?

कोई स्पेशलाइज्ड कोर्स तो नहीं है, लेकिन जल्द ही यूनानी चिकित्सा पद्धति के तहत सíटफिकेट कोर्स की मांग चल रही है, ताकि जो छात्र साढे पांच साल का बीयूएमएस कोर्स नहीं कर सकते, वे सíटफिकेट कोर्स कर जल्द से जल्द रोजगार पा सकें।

(रीजनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन, दिल्ली के रिसर्च ऑफिसर डॉ. सैयद अहमद खान से बातचीत पर आधारित)